दिल्ली दंगों पर पहली सजा, दोषी दिनेश यादव को 5 साल की जेल

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दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को दिनेश यादव (फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में हुए हिंसक दंगों के सिलसिले में दोषी ठहराए गए पहले व्यक्ति) को पांच साल की जेल की सजा सुनाई है। दिनेश यादव दंगों के सिलसिले में सजा पाने वाले पहले व्यक्ति भी हैं।

अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि दिनेश यादव “दंगाइयों की भीड़ का सक्रिय सदस्य” था और उसने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी में भागीरथी विहार में महिला के घर में तोड़फोड़ व आग लगाने में भूमिका निभाई।

मनोरी के रूप में पहचानी जाने वाली बुजुर्ग महिला ने कहा था कि लगभग 150 से 200 दंगाइयों की भीड़ ने 25 फरवरी को उसके घर पर हमला किया था और कई कीमती सामान लूट लिए। उसने अदालत को बताया कि कैसे उसे अपनी जान बचाने के लिए अपने घर की छत से कूदने के लिए मजबूर किया गया था और उसे पड़ोसी के घर में छिपना पड़ा, जबकि उसके परिवार ने उसे बचाने के लिए पुलिस को बुलाया।

मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दो पुलिसकर्मियों के बयान को अहम माना। पुलिस ने बताया कि मनोरी के घर पर हमला करने वाली भीड़ में दिनेश यादव भी शामिल थे, लेकिन आरोपी घर को जलाते नहीं दिखे। लेकिन अदालत ने फैसला सुनाया कि यादव के भीड़ का हिस्सा होने का मतलब था कि वह उतना ही जिम्मेदार था, जितना कि वास्तव में घर को जलाने वाले हैं।

इस बीच कल दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने गोकुलपुरी इलाके में एक दुकान में तोड़फोड़ और आग लगाने के आरोप में छह लोगों को जमानत दे दी। पुलिस ने कहा कि आग में दुकान के कर्मचारी 22 वर्षीय दिलबर नेगी की मौत हो गई, जिसका क्षत-विक्षत शव दो दिन बाद दुकान परिसर से बरामद किया गया था।

पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने कथित तौर पर इलाके की कई अन्य दुकानों में भी तोड़फोड़ की और आग लगा दी। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के समर्थकों और इसका विरोध करने वालों के बीच तनाव के बाद फरवरी 2020 में दिल्ली के उत्तरपूर्वी हिस्सों में सांप्रदायिक झड़पें हुईं।

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