चुनावों के दौरान मुफ्तखोरी के वादे को लेकर केंद्र और चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, 4 हफ्ते में मांगा जवाब
मुफ्तखोरी का वादा करने वाली राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने नोटिस जारी किया है।
चुनावों को प्रभावित करते हैं ‘वादे’
कोर्ट में याचिका के जरिए कहा गया है कि चुनावों के मद्देनदर मुफ्तखोरी के वादे मतदाताओं को प्रभावित करते है। राजनीतिक दलों की यह प्रवृत्ति लोकतांत्रिक मूल्यों के अस्तित्व के लिए खतरा है। साथ ही इससे संविधान की भावना को भी चोट पहुंचती है। राजनीतिक दलों द्वारा सत्ता हासिल करने की यह प्रथा, एक तरह से रिश्वतखोरी ही है। लोकतंत्र के सिद्धांतों को बचाने के लिए इस तरह इस पर रोक लगाने की जरूरत है।