कपकोटः बुकलेटी विकास के सहारे सुरेश गढ़िया, विकास को पढ़ने में लग जाते हैं दो दिन!

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कपकोट। कपकोट विधानसभा में सत्ताविरोधी लहर ने भाजपा की मुश्किले बढ़ा दी हैं। इस सीट पर सिटिंग विधायक बलवंत सिंह भौर्याल का टिकट काटकर पार्टी ने युवा सुरेश गढ़िया को चुनाव मैदान में उतारा हैं। लेकिन सत्ता विरोधी लहर के चलते सुरेश गढ़िया को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। वे डबल इंजन की सरकार और स्थानीय विधायक बलवंत सिंह भौर्याल द्वारा किये गये कार्यो को लेकर क्षेत्र में वोट मांगने जा रहे हैं लेकिन स्थानीय लोगों के बुनियादी सवालों का भाजपा उम्मीदवार सुरेश गढ़िया का पास कोई जवाब नहीं है।

कपकोट विधानसभा में बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नहीं है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, पानी जैसी समस्याओं से क्षेत्र के लोग आज भी जूझ रहे हैं। क्षेत्र का एक बड़ा इलाका आज भी मोबाइल कनेक्टिविटी से महरूम हैं। स्थानीय लोग कहते है कि अगर पूर्व विधायक बलवंत सिंह भौर्याल अरबों रुपयों का धरातल पर कार्य किया होता तो वो आज विधायक के टिकट के रेस मैं सबसे आगे होते।
उधर गांव-गांव में जनसम्पर्क में पहुंचे भाजपा उम्मीदवार सुरेश गढ़िया को स्थानीय लोगों के सवालों से दो-चार होना पड़ रहा है। सुरेश गढ़िया का दावा है कि कपकोट विधानसभा में अरबों रुपयों के विकास कार्य हुए हैं। वे विकास पुस्तिका का हवाला देते हुए कहते हैं कि इतना विकास हुआ है कि मुझे ही इस बुकलेट को पढ़ने में दो दिन लग गए।

लेकिन यहां के स्थानीय निवासी डबल इंजन बुकलेटी विकास से खासे नाखुश हैं। लोगों का कहना है कि क्षेत्र का विकास सिर्फ कागजों में हुआ लेकिन धरातल में इसकी तस्वीर इसके काफी उलट हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने प्रदेश में इतना विकास किया है कि पूर्व सीएम और भाजपा नेता भगत सिंह कोश्यारी के गांव में आज तलक रोड नहीं पहुंच पाई हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक उन्होंने हमेशा भाजपा पर भरोसा किया लेकिन भाजपा ने क्षेत्रीय लोगों को हमेशा ठगने का काम किया है।

कपकोट विधानसभा को प्रदेश की सबसे पिछडे हुए क्षेत्रों में माना जाता है। राज्य बनने के बाद अस्तित्व में आई कपकोट विधानसभा सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है। कांग्रेस इस सीट को केवल एक बार जीत पाई है। राज्य विधानसभा के पहले चुनाव 2002 में भाजपा के दिग्गज भगत सिंह कोश्यारी इस सीट से विजयी रहे थे। साल 2007 में एक बार फिर भाजपा के कोश्यारी ने कपकोट से जीत हासिल की। कोश्यारी के विधायक पद से त्यागपत्र देने के बाद हुए उप चुनाव में भाजपा के शेर सिंह गढ़िया विधायक चुने गए। केवल वर्ष 2012 में कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीनी। तब ललित मोहन सिंह फर्स्वाण विधायक चुने गए। वर्ष 2017 में एक बार फिर भाजपा ने वापसी की बलवंत सिंह भौर्याल विधायक चुने गए।

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