एक साल में मुश्किल से 30 दिन भी नहीं बैठती कई राज्यों की विधानसभा, यहां के विधायक तो 15 दिन भी नहीं जाते
देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव जारी है। चुनाव प्रचार चल रहा है और तमाम रुपये लग रहे हैं। सभी विधायक व पार्टी के बड़े-बड़े नेता घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। ऐसा भी हो रहा होगा कि वे घर भी न जा पा रहे हो, लेकिन जिस हिसाब का जज्बा यहां देखने को मिलता है, वह विधानसभाओं में नहीं दिखता। दिखेगा तो तब जब विधानसभाओं में विधायक पहुंचेंगे। कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है, जिनमें बताया गया कि कई राज्यों की विधानसभा साल भर में बस 30 दिन ही बैठती हैं। इतना ही नहीं हरियाणा व पंजाब जैसे राज्यों में तो यह औसत केवल एक पखवाड़े का है।
अन्य देशों में देखें तो यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स, 2020 में 163 दिनों और 2021 में 166 दिनों और सीनेट में दोनों वर्षों के लिए 192 दिनों के लिए था। यूके हाउस ऑफ कॉमन्स की 2020 में 147 बैठकें हुईं, जो पिछले एक दशक में लगभग 155 के वार्षिक औसत के अनुरूप रहीं। जापान की डाइट, या हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स, की बात करें तो किसी भी असाधारण या विशेष सत्र के अलावा साल में 150 दिन बैठक हुई। वहीं, कनाडा में, हाउस ऑफ कॉमन्स की इस वर्ष 127 दिन बैठक होनी है और जर्मनी के बुंडेस्टैग, जहां सदस्यों के लिए बैठक के दिनों में उपस्थित होना अनिवार्य है, की बैठक इस वर्ष 104 दिनों में होनी है।
TOI द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में 19 विधानसभाओं की बैठकों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। विश्लेषण किए गए लगभग सभी राज्यों में, सबसे कम विधानसभाओं की संख्या 2020 या 2021 में रहीं। इसके अलावा कोरोना के कारण दो वर्ष को छोड़ दें तो हरियाणा को छोड़कर, सबसे कम, 11 बैठकें 2010, 2011, 2012 और 2014 में हुई थीं। लोकसभा के मामले में सबसे अधिक संख्या, 85 दिन, 2000 और 2005 में थी और सबसे कम संख्या 2020 में 33 थी। एक साल कोविड का भी रहा।
बताया गया कि कुछ राज्य विधानसभाओं की वेबसाइटें शुरुआत से अब तक का डेटा देती हैं, जबकि कई के पास केवल एक दशक या उससे कम समय का डेटा ही होता है। जिन राज्यों में शुरू से ही डेटा है, वहां प्रति वर्ष बैठकों की औसत संख्या धीरे-धीरे कम होती दिख रही है।
हालांकि, पंजाब के मामले में, 1966 से, जब राज्य का गठन हुआ था, बैठकों की संख्या कम रही है। 1967 में सबसे अधिक 42 बैठकें हुईं। 1971, 1985 और 2021 में केवल 11 बैठकें हुईं। जोकि सबसे सबसे कम थी। पिछले दशक में बैठकों का औसत सिर्फ 15 रहा।