देहरादून जिले की 10 में से आठ सीटों पर मुश्किल में है सत्ताधारी भाजपा
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 10 विधानसभा सीटें हैं। 2017 में भाजपा ने इन 10 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी। राजधानी की एकमात्र चकराता सीट से प्रीतम सिंह लगातार चौथी बार अपने विजय अभियान को जारी रखा था। लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव में देहरादून की सभी 10 सीटों की फिजा बदली-बदली सी है। चुनाव हो चुके हैं लिहाजा सभी राजनीतिक पार्टियां अपने वोटरों के गुणा-भाग के आधार पर जीत दर्ज करने का दावा पेश कर रही है।
इस बार सभी सीटों पर कांग्रेस ने बीजेपी को सीधे तौर पर चुनौती दी है। हालात यह है की अब तो बीजेपी के नेता भी ऑफ द रिकॉर्ड राजधानी में 50-50 की स्थिति होने की बात कबूल करने लगे हैं। सत्ताधारी बीजेपी के लिए चकराता, विकास नगर, सहसपुर, राजपुर रोड, धर्मपुर, देहरादून कैंट, डोईवाला, रायपुर पर जीत दर्ज कर पाना आसान नहीं नजर रहा है। हालांकि जानकारों के मुताबिक सत्ताधारी बीजेपी मसूरी और ऋषिकेश में जीत तक पहुंच सकती है।
तकरीबन यही स्थिति चकराता, विकासनगर, सहसपुर में कांग्रेस की दिखती है। यहां कांग्रेस, बीजेपी से ज्यादा मजबूत नजर आ रही है। चकराता से कांग्रेस के प्रत्याशी प्रीतम सिंह काफी मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं। प्रीतम सिंह क्षेत्र में लोकप्रिय तो हैं है साथ ही कांग्रेस में सीएम पद के लिए उनकी संभावित दावेदारी उन्हें ज्यादा मजबूत बना देता है।
राजपुर रोड और धर्मपुर में कांटे की टक्कर वाली स्थिति है। धर्मपुर में बीजेपी के बागी जहां बीजेपी के लिए मुसीबत बनते नजर आ रहे हैं, वहीं कांग्रेस की जीत में सपा के मुस्लिम उम्मीदवार रोड़ा हैं।
राजपुर रोड सीट से बीजेपी उम्मीदवार खजान दास, चुनाव में संगठन के मेहनत के भरोसे जीत का दावा कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार अपनी लोकप्रियता और काम की बदौलत जीत दर्ज करने की बात कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी के लिए इस सीट पर भी जीत पाना आसान नहीं होगा।
2017 चुनाव में रायपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी उमेश शर्मा काउ ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत और गणेश जोशी के कार्यकर्ताओं से झगड़े व विरोध ने उन्हें इस चुनाव में कमजोर बना दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का इस विधानसभा सीट में व्यक्तिगत प्रभाव भी जीत और हार में अंतर पैदा कर सकता है।
विकासनगर सीट से बीजेपी प्रत्याशी मुन्ना सिंह चौहान वर्तमान विधायक है लेकिन बदली हुई परिस्थिति में उनके लिए भी इस सीट पर जीत दर्ज कर पाना आसान नहीं है। इस सीट पर हर बार विधायक बदल जाने का इतिहास रहा है।
सहसपुर विधानसभा सीट पर वर्तमान विधायक सहदेव सिंह पुंडीर के लिए राह आसान नहीं है। क्योंकि कांग्रेस के प्रत्याशी आर्यन्द्र शर्मा यहां बेहद मजबूत दिख रहे हैं। कांग्रेस इस बार एकजुट भी दिख रही है। लिहाजा इस सीट से उनका सालों के सूखा ख़त्म हो सकता है।