पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत संभाल सकते है उत्तराखण्ड भाजपा की बागडोर

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देहरादून। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे जो भी रहे लेकिन भाजपा प्रदेश संगठन में 10 मार्च के बाद फेरबदल तय माना जा रहा है। पार्टी के अंदर चुनाव नतीजों के आधार पर संगठन में बड़े फेरबदल के संकेत मिलने लगे हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत को आने वाले समय में उत्तराखंड संगठन में अहम जिम्मेदारी मिलने का दावा किया जा रहा है। रावत के समर्थकों का दावा है कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

त्रिवेन्द्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद से ही उन्हें संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दिये जाने की चर्चाएं रही। वे तब से लगातार प्रदेश भर में सक्रिय हैं। रक्तदान शिविर और पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को लेकर भी लगातार वे जनता के बीच बने हुए है। त्रिवेंद्र को संगठन चलाने का पुराना अनुभव भी है। जो कि पार्टी के लोकसभा चुनाव तक काम आ सकता है। विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे समय में भाजपा पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत के अनुभवों को पार्टी उपयोग में ला सकती है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक भी है लेकिन त्रिवेन्द्र रावत का पलड़ा ज्यादा मजबूत है। जानकार पिछले दिनों मुख्यमंत्री धामी समेत कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान और टिहरी सांसद राजलक्ष्मी की त्रिवेन्द्र के आवास पर मुलाकात को इसी आइने से देख रहे है।

सरकार और संगठन का अनुभव

पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत को सत्ता और संगठन दोनों का बड़ा अनुभव है। उत्तर प्रदेश और झारखण्ड चुनाव में भाजपा की वापिसी में उनकी बड़ी भूमिका रही हैं। वहीं उत्तराखण्ड में भारी बहुमत की सरकार का वे 4 साल नेतृत्व कर चुके हैं। गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का उनका फैसला ऐतिहासिक माना जाता है जिसके बाद उत्तराखण्ड में उनकी छवि जननेता की बन गई है। उनके कार्यकाल में शुरू हुए आयुष्मान योजना से उत्तराखण्ड की जनता को सीधा फायदा पहुंचा हैं। वहीं महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति सहखातेदार बनाकर उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक लम्बी लकीर खींची है।

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