September 22, 2024

यूपी में जीत के साथ योगी ने एक साथ तोड़े कई मिथक

उत्तर प्रदेश में धमाकेदार जीत के साथ योगी ने एक नए इतिहास की शुरुआत की है तो कई अंधविश्वास का अंत भी कर डाला है। यूपी में जीत के साथ योगी ने एक साथ कई मिथक तोड़ दिए हैं, जिन्हें लेकर यूपी की सियासत में एक डर पैदा कर दिया गया था, लेकिन बाबा ने ये बता दिया कि जीत के विश्वास के आगे अंधविश्वास कहीं नहीं टिकता।

विदेश में पढ़ने के बावजूद अखिलेश हमेशा यही मानते रहे कि नोएडा की लकीर को जिसने भी पार किया, वो यूपी की अग्निपरीक्षा में पास नहीं हो पाया। लेकिन वो योगी ही थे, जिन्होंने अंधविश्वास के इस भूत को उतारने की कसम खा ली और 2017 में सत्ता संभालते ही योगी नोएडा निकल पड़े। इसके बाद तो योगी ने नोएडा आने की झड़ी लगा दी। 5 साल के कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ क़रीब 20 बार नोएडा आए। आखिरी बार उन्होंने चुनाव की तारीखों के ऐलान के ठीक बाद नोएडा का दौरा कर दिया।

यूपी में ऐसे नेताओं की लिस्ट बहुत लंबी है, जो अपने शासन में नोएडा से जुड़ी परियोजनाओं के नाम पर सीना ठोंकते रहे, लेकिन इस शहर का मुंह तक नहीं देखा। अखिलेश तो सबसे आगे निकले, जिन्होंने सीएम बनते ही 2012 में यमुना एक्सप्रेस वे का उद्घाटन लखनऊ से किया। अपने कार्यकाल में नोएडा से जुड़ी सभी परियोजनाओं का उद्घाटन लखनऊ से किया और 2015 में दादरी कांड के बाद भी वो नोएडा नहीं आए बल्कि अखलाक के परिवार को मिलने लखनऊ बुलाया।

1988 में मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नोएडा आए लेकिन अगले दिन कुर्सी चली गई
1989 में एनडी तिवारी पहुंचे लेकिन इसके बाद यूपी में उनकी सरकार गिर गई
जो 1995 में मुलायम के साथ हुआ वही 1999 में कल्याण सिंह के साथ भी हुआ
साल 2000 में नोएडा आने पर रामप्रकाश गुप्ता की भी कुर्सी चली गई

इसके बाद तो नेताओं के मन में ऐसा डर बैठा कि नोएडा को लेकर उनका नज़रिया ही बदल गया। इसीलिए मुख्यमंत्री बनने के बाद ना राजनाथ नोएडा आए, ना 2004 में दोबारा कुर्सी मिलने के बाद मुलायम ने नोएडा की ओर देखा और 2011 में मायावती नोएडा आईं तो 2012 में हार गई। फिर अखिलेश ने कसम खा ली कि कुछ भी हो जाए, लेकिन नोएडा झांकने भी नहीं जाएंगे। लेकिन फिर अंधविश्वास की इस कहानी में एंट्री हुई योगी आदित्यनाथ की और उन्होंने जैसे राजनीति के हर टोटके को तोड़ने का बीड़ा उठा लिया और अब जीत के साथ अंधविश्वास पर विश्वास का बुल्डोज़र चला दिया।

अब तक यूपी में एक्सप्रेस वे की कहानी कुछ यही थी, लेकिन योगी ने इस मिथक को भी तोड़ डाला
यूपी में एक्सप्रेस वे के अंधविश्वास की शुरुआत हुई ग्रेटर नोएडा-आगरा को जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस वे से, जिसकी नींव फरवरी 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने रखी थी। लेकिन जो एक्सप्रेस वे मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट था, वो उसका उद्घाटन तक नहीं कर सकीं। 9 अगस्त 2012 को अखिलेश ने यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया। 2012 में अखिलेश मुख्यमंत्री बने तो लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे बनने की शुरुआत हुई और 2016 में अखिलेश ने इसका उद्घाटन किया, लेकिन 2017 में उनकी सरकार भी चली गई।

इसके बाद एक्सप्रेसवे बनवाने को लेकर राजनीति के गलियारों में एक नई चर्चा को जन्म मिला, लेकिन योगी यहां भी नहीं डरे। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने यूपी में 3 बड़े एक्सप्रेस वे बनवा दिए। जिनमें पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेस-वे शामिल हैं। अब उनकी धमाकेदार जीत ने साबित कर दिया कि यकीन खुद पर करना ज़रूरी है, अंधविश्वास पर नहीं।

2022 में अपनी जीत के साथ योगी ने एक और अंधविश्वास को तोड़ दिया है और वो है विधानसभा चुनाव लड़ने का और जीत हासिल करने का
यूपी की कुर्सी पर बैठने वाले नेता ज्यादातर एमएलसी होकर आते रहे हैं, विधानसभा चुनाव लड़ने से नेता हमेशा बचते रहे। लेकिन योगी ने बता दिया कि सिसायत में टोटके जीत का रास्ता बनाते नहीं हैं बल्कि रास्ता रोकते हैं। उसी का नतीजा है कि यूपी में दोबारा सत्ता हासिल करके बाबा ने इतिहास रच दिया है।


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