September 22, 2024

उत्तराखण्डः मिथकों को तोड़ने के लिए चाहिए त्रिवेन्द्र जैसा राजनीतिक हौंसला

देहरादून। उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं। भाजपा ने प्रदेश में तमाम मिथकों को तोड़ते हुए सत्ता में वापिसी की है। पार्टी ने 47 सीटों पर फतह हासिल की है। नई सरकार के मुखिया के लिए अटकलों का बाजार गरम है। देर-सबेर भाजपा हाईकमान की ओर नये मुखिया का ऐलान कर दिया जाएगा। और प्रदेश को 12वां सीएम मिल जाएगा।

भाजपा ने प्रदेश में जिन मिथकों को तोड़ा है इसका आधार त्रिवेन्द्र सरकार का कार्यकाल रहा है। त्रिवेन्द्र सरकार में जो भी फैसले लिए गये वे उत्तराखण्ड की जनभावनाओं के ज्यादा नजदीक रहे है। उन्होंने राजनीतिक में तमाम ऐसे फैसले लिये जिसकी हिम्मत उनके पूर्ववर्ती सीएम कभी जुटा नहीं पाये। गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने का फैसला उनकी मजबूत इच्छा शक्ति और इरादों को दर्शाता है। इससे पहले गैरसैण का मसला राजनीतिक दलों के लिए एक राजनीतिक मुद्दे से ज्यादा कुछ नहीं था।

उत्तराखण्ड की भौगोलिक स्थिति और सामाजिक आर्थिक व्यवस्था देश के दूसरे राज्यों से अलग है। यहां का विकास तभी संभव हो सकता है जब यहां सामाजिक आर्थिक व्यवस्था और भौगोलिक स्थिति के मुताबिक योजना बने। त्रिवेन्द्र सरकार ने विकास का ऐसा माडल तैयार किया जो उत्तराखण्ड के विकास को आगे बढ़ा सकता है। उन्होंने पर्यटन, बागवानी और परम्परागत खेती-बाड़ी को प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत बनाने का आधार तैयार किया। न्याय स्तर पर ग्रामीणों को बाजार मुहैया कराने के लिए ग्रोथ सेंटर स्थापित करने का काम किया।

उत्तराखण्ड में मातृशक्ति यहां की आर्थिकी की रीढ़ हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम किया। महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के लिए पैतृक सम्पत्ति में महिलाओं को सहखातेदार बनाने के लिए कानून में संशोधन किया। प्रसाद योजना को महिलाओं की आय का जरिया बनाया ताकि प्रदेश की महिलाएं आर्थिक तौर पर मजबूत हो सके और प्रदेश के विकास में अपनी सीधी भागीदारी कर सके। सहकारिता विभाग की ओर से ग्रामीण महिलाओं के लिए उन्होंने घसियारी कल्याण योजना बनाई।

प्रदेश की नौजवानों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया कराने के लिए होमस्टे के जरिए उन्होंने पर्यटन को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम किया। इतना ही नहीं होम-स्टे की मार्केटिंग और बुकिंग के लिए मेक माई ट्रिप के साथ एमओयू भी किया। इससे फैसले से देश दुनिया के लोग उत्तराखण्ड की संस्कृति से रूबरू हो रहे हैं वहीं ग्रामीणों की आर्थिकी भी मजबूत हो रही हैं।

त्रिवेन्द्र सरकार ने प्रदेश में फलते-फूलते भ्रष्टाचार की जड़ों को खत्म करने का काम किया। प्रदेश में दलालों और भ्रष्टाचारियों ने ट्रासफर को एक उद्योग बना दिया था। इस पर कानून बनाकर प्रदेश में भ्रष्टाचार को खत्म करने का काम भी किया। जानकार बताते है कि उनके कार्यकाल के दौरान सचिवालय के चौथे माले में पर दलाल कभी जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाये।

आज प्रदेश में दशकों पुराने राजनीति के मिथकों तोड़ कर भाजपा ने सत्ता में वापिसी की है। वे मिथक टूटने इतने आसान नहीं थे। इन मिथकों को तोड़ने के लिए त्रिवेन्द्र सिंह रावत जैसा नेतृत्व और राजनीतिक हौंसला चाहिए।


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