उत्तराखण्डः कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष वाला फार्मूला पूरी तरह रहा विफल
देहरादून। प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने तो इस्तीफा दे दिया है। लेकिन पांच कार्यकारी अध्यक्ष अभी अपने पदों पर जमंे हुए हैं। चुनाव से ऐन पहले पार्टी को एकजुट रखने के लिए प्रदेश कांग्रेस में पांच कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए थे। प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और प्रदेश में चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन पूर्व सीएम हरीश रावत ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा हाईकमान को सौंप दिया है। लेकिन प्रदेश में नियुक्त पांच कार्यकारी अध्यक्षों की तरफ से अभी तक इस्तीफे की कोई पहल नहीं की गई है।
गौरतलब है कि शूरवीर सजवाण, तिलकराज बेहड़, भुवन कापड़ी, जीतराम, रणजीत रावत को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। इनमें शूरवीर सजवाण को छोड़कर पार्टी ने चार कार्यकारी अध्यक्षों को विधायकी का टिकट भी मिला। जिनमें से केवल भुवन कापड़ी और तिलक राज बेहड़ ही चुनाव जीत पाए। कांग्रेस अध्यक्ष के इस्तीफे के बाद संभावना जताई जा रही थी कि कार्यकारी अध्यक्ष भी इस्तीफा दे देंगे। हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखण्ड में गुटबाजी खत्म करने और चुनाव में सफलता हासिल करने के वास्ते कार्यकारी अध्यक्ष प्रयोग किया। लेकिन कार्यकारी अध्यक्ष चुनाव प्रचार के लिए अपनी विधानसभा से बाहर नहीं निकल पाए। खास बात ये है कि अपनी सीट छोड़कर पड़ोस की सीट पर भी प्रचार करने कोई कार्यकारी अध्यक्ष नहीं पहुंच पाया। कांग्रेस का ये प्रयोग सफल नहीं हो पाया और पार्टी प्रदेश में महज 19 सीटें ही जीत पाई।