गुड फ्राइडे आज, पीएम मोदी ने ट्वीट कर ईसा मसीह के संघर्षों को किया याद
भारत समेत दुनियाभर में आज गुड फ्राइडे का त्योहार मनाया जा है। गुड फ्राइडे का त्योहार प्रभु ईसा मसीह की याद में इस दिवस को मनाया जा रहा है। इस मौके पर सुबह से ही भारत समेत दुनिया भर के गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया जा रहा है। ईसाई समुदाय के लोग सुबह की प्रार्थना में शामिल होकर ईसा मसीह के अंतिम क्षणों एवं बलिदान को याद कर रहे हैं। इस मौके पर कई जगहों पर ईसा मसीह के उपदेशों को पढ़ा जा रहा है और लोग उनके बताए संदेशों और उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का प्रण कर रहे हैं।
We remember the courage and sacrifices of Jesus Christ today on Good Friday. His ideals of service and brotherhood are the guiding light for several people.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 15, 2022
गुड फ्राइडे का नाम सुनने से लगता है कि यह कोई जश्न का त्योहार है, लेकिन ऐसा नहीं है। गुड फ्राइडे को शोक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। गुड फ्राइडे ईसाई धर्म के लिए बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान यीशु मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए थे।
कहते हैं जब यहूदी शासकों ने ईसा मसीह को तमाम शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने के बाद जब सूली पर चढ़ाया था तो वह दिन शुक्रवार यानी फ्राइडे था। ईसा मसीह ने मानव जाति के लिए हंसते-हंसते अपना जीवन कुर्बान कर दिया, इसलिए इस शुक्रवार को ईसाई धर्म के लोग ‘गुड फ्राइडे’ के रूप में मनाते हैं। इस दिन को ये लोग कुर्बानी दिवस के रूप में मनाते हैं।
गुड फ्राइडे क्यों मनाते हैं?
ईसाई धर्म ग्रंथों के मुताबिक ईसा मसीह येरुशलम में लोगों को ईश्वर का संदेश बताते और मानव कल्याण के उपदेश देते थे। उनके इस संदेश और उपदेशों का लोगों पर गहरा प्रभाव होता था, जिससे प्रभावित होकर लोग ईसा मसीह को ईश्वर मानने लगे। इससे उस समय के धर्म के कुछ ठेकेदार चिढ़ने लगे थे।
कुछ लोगों रोम के शासक से ईसा मसीह के खिलाफ शिकायत कर दी। उन लोगों ने राजा से कहा कि ईसा मसीह स्वयं को ईश्वर पुत्र बताते हैं। इसके बाद रोम के तत्कालीन शासक ने ईसा मसीह पर राजद्रोह का आरोप लगाते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाया गया। इसके बाद ईसा मसीह को क्रूस पर कील की मदद से लटका दिया गया। उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
इस घटना से उनके अनुयायी दुखी और निराश हो गए। वह शुक्रवार का दिन गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाने लगा। हालांकि इसके तीसरे दिन रविवार को वे दोबारा जीवित हो उठे। जिसकी खुशी में ईस्टर का त्योहार मनाया जाता है। इसे ईस्टर संडे भी कहते हैं।