राजनीतिः योगम्बर से लेकर कैलाश तक पांच ने छोड़ी सीएम के लिए अपनी विधायकी
देहरादून। उत्तराखण्ड में चम्पावत से विधायक कैलाश गहतोड़ी के इस्तीफे के बाद प्रदेश में उपचुनाव का शंखनाद हो गया है। कैलाश गहतोड़ी प्रदेश के पांचवे विधायक है जिन्होंने मुख्यमंत्री के लिए अपनी विधायकी से इस्तीफा दिया है। उत्तराखण्ड में पहली मर्तबा 2002 में रामनगर से विधायक योगम्बर सिंह रावत ने मुख्यमंत्री के लिए अपनी विधायकी छोड़ी थी।उन्होंने पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी के लिए अपनी विधायकी से इस्तीफा दिया था। उसके बाद नारायण दत्त तिवारी रामनगर से उपचुनाव के लिए मैदान में उतरे और विधानसभा पहुंचे।
दूसरी मर्तबा धुमाकोट से पूर्व कैबिनेट मंत्री टीपीएस रावत ने 2007 में पूर्व सीएम भुवन चंद्र खण्डूडी के लिए अपनी विधायकी से इस्तीफा दिया। टीपीएस रावत उस वक्त कांग्रेस से विधायक थे, लेकिन एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के चलते उन्होंने मेजर भुवन चंन्द्र खण्डूड़ी के लिए विधायकी को छोड़ दिया है। इसके बाद भुवन चन्द्र खण्डूड़ी धुमाकोट से उपचुनाव लड़े और विधान सभा पहुंचे।
साल 2012 में कांग्रेस ने सत्ता में वापिसी की और कांग्रेस हाईकमान ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया। लेकिन उस वक्त विजय बहुगुणा विधानसभा के सदस्य नहीं थे। लिहाजा उस वक्त सितारगंज से विधायक रहे दिलीप मण्डल ने विजय बहुगुणा के लिए अपनी सीट छोड़ी और सितारगंज से विजय बहुगुणा विधानसभा पहुंचे। खास बात ये है कि दिलीप मण्डल उस वक्त भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गये थे।
केदारनाथ आपदा के बाद पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को सीएम के पद से हाथ धोना पड़ा था उसके बाद कांग्रेस ने पूर्व सीएम हरीश रावत को उत्तराखण्ड की कमान सौंपी। हरीश रावत भी उस वक्त विधानसभा के सदस्य नहीं थी। लिहाजा उस वक्त भी उपचुनाव हुआ और धारचूला से विधायक रहे हरीश धामी ने हरीश रावत के लिए अपनी सदस्यता का त्याग किया। और इसके बाद हरीश रावत धारचूला से उपचुनाव में उतरे और विधानसभा में पहुंचे।
चौथी विधान सभा के दौरान भी प्रदेश में एक बार उपचुनाव की जरूरत पड़ गई थी। लेकिन बदले राजनीतिक हालातों के चलते प्रदेश उस वक्त उपचुनाव से बच गया। गौरतलब है कि भाजपा ने पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत को हटाकर सांसद तीरथ सिंह रावत के प्रदेश की कमान सौंपी। लेकिन चंद महीनों के बाद भाजपा हाईकमान ने खटीमा से विधायक रहे पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश की सत्ता सौपी दी। जिसके बाद तीरथ उपचुनाव में जाने से बच गये।
पांचवी विधानसभा के चुनाव में सीएम पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा से चुनाव हार गये। लेकिन इस हार के बाद भी भाजपा हाईकमान ने उन्हें प्रदेश की सत्ता सौपी। सीएम धामी को सांवैधानिक प्रावधानों के चलते छः महीने की भीतर विधानसभा की सदस्यता हासिल करनी है। लिहाजा एक बार फिर उपचुनाव होने हैं। और चम्पाव से कैलाश गहतोड़ी के इस्तीफे के बाद साफ हो चला है कि सीएम धामी चम्पावत से उपचुनाव लड़ेगे।