November 24, 2024

उत्तराखण्डः भस्मासुरी तंत्र के बीच कैसे लागू होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NEP) 2020 ?

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देहरादून। उत्तराखंड में प्रचारित किया जा रहा है कि यह स्कूली शिक्षा में एनईपी को लागू करने वाला देश में पहला राज्य होगा। माननीय शिक्षा मंत्री भी यही मंशा दिखा रहे हैं लेकिन विभागीय अधिकारी इस विचार पर ही पलीता लगाने में जुटे हैं। प्रदेश में स्कूली शिक्षा में एनईपी पर जिस प्रकार से कार्य किया जा रहा है उससे तो लग रहा है कि एससीईआरटी प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को तबाह करके ही मानेगी।

आज की तारीख़ तक प्रदेश में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की कई संस्तुतियों में से दो शासनादेश निर्गत हो चुके हैं लेकिन दोनों ही प्रदेश में लागू नहीं हो सके हैं और न ही लागू हो सकेंगे। हाँ, एनईपी के नाम पर एससीईआरटी में कुछ लोगों को एनईपी सेल के नाम पर संबद्ध ज़रूर कर दिया गया है। और कुछ अधिकारी दो तीन राज्यों की सैर कर प्रदेश को लाखों रुपयों का चूना ज़रूर लगा चुके हैं। वैसे भी सरकारी शिक्षा किस संकट के दौर से गुज़र रही है, विभागीय अधिकारियों को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। यहाँ तंत्र नीचे से ऊपर ऐसा प्रतीत हो रहा है की सरकारी ख़ज़ाने को खा-खा कर शिक्षा को निगलने वाला भस्मासुर बन चुका है।

पहले तीन निदेशालय, ऊपर से महानिदेशालय और जनपदों में पाँच-पाँच अधिकारी, विभागीय अधिकारियों की इतनी लम्बी चौड़ी फ़ौज किसी दूसरे प्रदेश में नहीं है। एससीईआरटी और डायटों ने उत्तराखंड की शिक्षा को जितनी हानि पहुँचाई उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी। पहले तो प्रशासनिक अधिकारियों ने अकादमिक संस्थानों पर क़ब्ज़ा कर शिक्षा को नुक़सान पहुँचाया ऊपर से 2013 का शिक्षक शिक्षा का ढाँचा रोक कर प्रदेश को करोड़ों की चपत भी लगायी। जबकि शिक्षा की हानि इससे भी बढ़कर हुई है।

एनईपी के नाम पर ऐसे दो शासनादेशों को बनवा दिया जो शिक्षा का बेड़ा गर्क कर देगी। पहला शासनादेश प्राथमिक स्तर पर क्षेत्रीय भाषा जैसे गढ़वाली, कुमाऊँनी, रंक आदि में पठन पाठन किया जाएगा लेकिन बिना लिपि के बोलियों में पाठ्य पुस्तकों को कैसे छापा जाएगा? यह सम्भव कैसे होगा ये किसी को नहीं मालूम।

दूसरा शासनादेश स्टेट स्कूल रेग्युलेटरी अथॉरिटी, एससीईआरटी को बना दिया। यह भी अव्यवहारिक है, जिस संस्था का अपना वजूद नहीं है वह इस प्रकार की अथॉरिटी कैसे बन सकती है, इसलिए आज तक यह भी लागू नहीं हो सका है और इस रूप में कभी लागू हो भी नहीं सकेगा।