September 22, 2024

चन्द्रशेखर जोशी

उत्तराखंडियों की बड़ी समस्या जनाब। यहां 80 फीसदी अग्निवीर कुछ दिन पहले तक- ‘मैं भी चौकीदार’ की डीपी लगाकर सीना फुलाए घूमते थे। बाप इनके भगवा गमछा डाले वोट मांगते फिरते, मां दिनभर मोदी- गुन गाती खूब पंचायतें करती थी। लोक देवता छोड़ बुजुर्ग मोदी भजन गाते, मंदिर से श्मशान घाट तक हर समूह की शांति भंग करते थे।
…यहां सरकार भाजपा, विधानमंडल में विपक्षी दल का नेता भाजपाई। वह बेटे का हाथ थामकर इस दल-उस दल जाता है। कभी शाह का खौफ खाकर भाजपा का दामन थामा था, फिर सोनिया दरबार में भेंट चढ़ाकर कांग्रेस में लौटा है। इसने कभी दल बदला, कभी पद बदला अकूत संपत्ति जुटाई है।

…राज्यवासियों की अपनी कोई पार्टी नहीं। एक उत्तराखंड क्रांति दल हुआ करता था। पहले चुनाव में जब इसके कुछ विधायक बने तो अध्यक्ष भाजपा में जाता रहा। वो कभी मंत्री बना फिर संतरी समान ओहदा पाया, राज्य से गद्दारी करता गया। वह भाजपा से फिर लौटा, फिर उक्रांद का अध्यक्ष बना फिर एक-एक समर्थक को दल से दूर खदेड़ता गया। जब संगठन में कोई न बचा तो मार्गदर्शक बन कर बैठा है। अन्य नेता उससे राय मशविरे लेते, संगठन का सत्यानाश करते हैं।

…यहां जातियों की अजब जकड़न है। सवर्ण दलितों से भिड़ते रहते, दूसरे धर्म वालों को रोज गालियां देते। संकटों का हल टोटकों में ढूंढते, विज्ञान के ये निकट न फटकते। तर्क-वितर्क से नाता न रखते, बेअक्ली में जीते हैं। इन्हें समस्या समझ न आती, एक-दूजे से खार में रहते हैं। न खेत बचे न काम रहा, हर पल बौराए फिरते हैं।

…लड़के जरा शर्माए से हैं। अग्निवीर का नाम याद कर अंदर से बौखलाए भी हैं। कुछ दिन पहले सैन्य ड्रेस में दोस्तों संग सेल्फी लेते सपने देखते, अब खुद को सिपाही का चपरासी देखकर निद्रा से उठते हैं। परिवार से किए वादे याद हैं, जिम्मेदारियां और चौपट भविष्य से सिहरन उठती, अल-सुबह न नींद खुलती, न दौड़-कूद की इच्छा बची, हर पल गुमशुम रहते हैं।

…बड़े भाई को सेना की तैयारी करता देख छोटा भी इज्जत करता था। अब वो भी चिढ़ाता, ‘ओए अग्निवीर आगे आग पीछे तीर’ कह कर छिप जाता है।
.. हर पल यहां सपने बिखरते, जीवन नरक सा लगता है..

चन्द्रशेखर जोशी के फेसबुक पेज से साभार


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