September 22, 2024

‘भगवान शिव शूद्र और जगन्नाथ आदिवासी, ऊंची जाति से नहीं हैं देवता,’ JNU की कुलपति के बयान पर हंगामा

दिल्ली का जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) अक्सर सुर्खियों में रहता है। इस बार यह अपनी कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित के बयान की वजह से चर्चा में है। दरअसल शांतिश्री ने भगवान शिव, जगन्नाथ और अन्य देवी देवताओं को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिससे हंगामा मच गया है। दरअसल शांतिश्री ने सोमवार को कहा, ‘मानव-विज्ञान की दृष्टि से देवता उच्च जाति से नहीं हैं और भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं।’

दरअसल शांतिश्री ‘डॉ. बीआर आंबेडकर्स थॉट्स आन जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड’ टाइटल वाली व्याख्यान श्रृंखला में बोल रही थीं। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि मनुस्मृति में महिलाओं को शूद्रों का दर्जा दिया गया, जो इसे काफी पीछे ले जाना वाला बनाता है।

मनुस्मृति पर शांतिश्री ने कही ये बात

शांतिश्री ने मनुस्मृति को लेकर कहा कि मैं सभी महिलाओं को बताना चाहती हूं कि मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं। इसलिए कोई भी महिला ये दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है। जबकि महिला को जाति केवल पिता से या विवाह के जरिए पति की मिलती है। ऐसे में मुझे लगता है कि यहां कुछ ऐसा है जो असाधारण रूप से पीछे ले जाने वाला है। इस दौरान शांतिश्री ने एक 9 साल के दलित लड़के साथ हुई जातीय हिंसा का भी जिक्र किया और कहा कि कोई भी भगवान ऊंची जाति का नहीं है।

ब्राह्मण श्मशान में नहीं बैठते: शांतिश्री

शांतिश्री ने कहा कि हमारे देवताओं की उत्पत्ति को मानव विज्ञान की दृष्टि से जानना चाहिए। कोई देवता ब्राह्मण नहीं है और सबसे ऊंचा क्षत्रिय है। भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए क्योंकि वह श्मशान में बैठते हैं और उनके पास कपड़े कम ही रहते हैं। इसके अलावा वह सांप भी रखते हैं। जबकि मुझे लगता है कि ब्राह्मण श्मशान में नहीं बैठ सकते हैं।

इसके अलावा शांतिश्री ने भगवान जगन्नाथ का मूल आदिवासी बताया। उन्होंने कहा कि हम भेदभाव को रखे हुए हैं, जोकि बहुत अमानवीय है। हिंदू कोई धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है और अगर ऐसा है तो आलोचना से क्यों डरें? उन्होंने ये भी कहा कि गौतम बुद्ध भेदभाव के मामले में हमें जगाने वाले पहले लोगों में से एक थे।


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