चुनाव में ‘फ्री योजनाओं’ की घोषणाओं पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय बेंच को भेजा मामला
चुनाव में मुफ्त की योजनाओं की घोषणा पर रोक की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश शुरू हो गया है. चीफ जस्टिस एन वी रमना आदेश पढ़ रहे हैं. सीजेआई ने कहा है कि याचिका में पार्टियों की तरफ से चुनाव के दौरान मुफ्त की चीज़ों का वादा करने को लेकर सवाल उठाए गए हैं. ये निष्पक्ष चुनाव पर असर और अर्थव्यवस्था पर बुरे असर की बात कहता है. यह भी कहा गया कि कई गैरज़रूरी चीजों का भी वादा किया जाता है जिसका मकसद वास्तविक जनकल्याण नहीं, बस पार्टी को लोकप्रिय बनाना होता है.
विशेषज्ञ कमिटी का गठन होगा सही
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, इस मसले पर विशेषज्ञ कमिटी का गठन सही होगा. लेकिन उससे पहले कई सवालों पर विचार ज़रूरी है. 2013 के सुब्रमण्यम बालाजी फैसले की समीक्षा भी ज़रूरी है. हम यह मामला 3 जजों की विशेष बेंच को सौंप रहे हैं, 2 हफ्ते बाद सुनवाई होगी. बता दें कि सुब्रमण्यम बालाजी 2 जजों का फैसला था, इसमें कहा गया था कि जनकल्याण की घोषणाएं संविधान के नीति निदेशक तत्वों के मुताबिक हैं. करप्ट प्रैक्टिस का नियम भी प्रत्याशी पर लागू होता है, पार्टी पर नहीं मतलब पहले इस फैसले की समीक्षा होगी, फिर कमिटी बनेगी.
Supreme Court says looking at the complexity of the freebies issue, the case is referred to a three-judge bench. https://t.co/fQniJligTa
— ANI (@ANI) August 26, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ सवाल भी तय किए हैं
वहीं उच्चतम न्यायालय ने कुछ सवाल भी तय किए गए हैं. जैसे मांगी गई राहत को लेकर कानूनी हस्तक्षेप का दायरा क्या है? क्या आयोग की नियुक्ति से इस मुद्दे का कोई उद्देश्य पूरा होगा? क्या 2013 के सुब्रमण्यम बालाजी फैसले पर फिर से विचार होना चाहिए. वहीं कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में आदेश पारित होने से पहले पक्षों ने जो मुद्दे उठाए हैं उन पर विस्तृत सुनवाई जरूरी है.