September 22, 2024

भारतीय सेना के हाथों घायल लश्कर-ए-तैयबा सरगना ने इलाज के दौरान दम तोड़ा, पाकिस्तान ने पहली बार लिया किसी आतंकी का शव

पाकिस्तान ने सोमवार को पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा पर चाकन दा बाग के रास्ते लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी सरगना तबारक हुसैन के शव को स्वीकार किया।

तीन दशक में यह पहली बार है जब पाकिस्तान ने किसी आतंकी के शव को आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है। बता दें कि पाकिस्तान ने सशस्त्र हिंसा की शुरुआत के बाद से जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों के शवों को स्वीकार करने से हमेशा इनकार किया है।

1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी, पाकिस्तान ने भारतीय सेना से लड़ते हुए मारे गए अपने नियमित सैनिकों के शवों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

खबरों के मुताबिक सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बयान जारी कर कहा, “भारतीय सेना और नागरिक प्रशासन के अधिकारी मारे गए आतंकवादी के शव को एक एम्बुलेंस में चाकन दा बाग ले गए, जहां उसे पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों को सौंप दिया गया।”

पीओके के सब्ज़कोट के मिस्त्री मलिक के बेटे तबारक हुसैन को 21 अगस्त को राजौरी के नौशेरा सेक्टर के झंगर इलाके में घायल हालत में सेना ने पकड़ लिया था।

तबारक को तब गिरफ्तार किया गया था जब वह एलओसी पर भारतीय सेना की चौकियों पर हमला करने के लिए एक फिदायीन आतंकी समूह के साथ घुसपैठ कर रहा था।

हालांकि, भारतीय सेना के सैनिकों ने सतर्कता बरतते हुए घुसपैठ करने वाले आतंकवादी समूह पर गोलीबारी की जिसमें तबारक घायल हो गया जबकि अन्य घुसपैठिए पीओके भाग गए।

तबारक के इलाज के लिए भारतीय सेना के जवानों ने दरियादिली दिखाते हुए राजौरी के एक गैरीसन अस्पताल में तीन बोतल रक्तदान किया था। रविवार शाम को कार्डियक अरेस्ट से उनकी मौत होने से पहले उनका दो सप्ताह तक इलाज चला था।

पोस्टमॉर्टम सुरनकोट अस्पताल में किया गया। अधिकारियों ने कहा, “सोमवार को, हमने पोस्टमार्टम रिपोर्ट और झांगेर में घुसपैठ के प्रयास में उसकी संलिप्तता के सबूत सहित सभी दस्तावेज पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिए।”

इससे पहले हुसैन को 2016 में भी उसके भाई हारून अली के साथ उसी सेक्टर में पकड़ा गया था। अगले वर्ष उसे वाघा-अटारी सीमा के माध्यम से मानवीय आधार पर स्वदेश भेजा गया।

भारत में हमले कि लिए पाकिस्तानी कर्नल ने दिए थे 30 हजार रुपए

इलाज के दौरान तबारक हुसैन ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा था कि उसे पाकिस्तानी सेना के एक कर्नल द्वारा आत्मघाती मिशन पर भारत भेजा गया था। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक हुसैन चार-पांच अन्य लोगों के साथ आया था और भारतीय सेना को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तानी कर्नल कर्नल यूनुस द्वारा ₹ 30,000 दिए गए थे।

हुसैन ने कहा कि उन्होंने भारतीय सेना की दो या तीन चौकियों की रेकी की थी। एजेंसी द्वारा साझा किए गए इनपुट के अनुसार, हुसैन को भारतीय सेना ने 21 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के राजौरी के नौशेरा के झंगर सेक्टर में नियंत्रण रेखा (LOC) के पास उस समय पकड़ लिया था, जब उसने और कुछ अन्य आतंकवादियों ने घुसपैठ करने की कोशिश की थी।

एजेंसी द्वारा साझा की गई एक क्लिप में हुसैन को एएनआई के एक रिपोर्टर के सामने यह कहते हुए सुना जा सकता है, “मैं, चार-पांच अन्य लोगों के साथ, यहां एक आत्मघाती मिशन पर आया था, जिसे पाकिस्तानी सेना के कर्नल यूनुस ने भेजा था। उसने मुझे भारतीय सेना को निशाना बनाने के लिए ₹30,000 दिए।”


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