September 22, 2024

इस वजह से दुनियाभर में बढ़े मंकीपॉक्स के केस, वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

दुनियाभर में मंकीपॉक्स वायरस के मामले लगातार आ रहे हैं. इसको लेकर कई रिसर्च की जा रही हैं. अभी तक इस वायरस के अधिकतर केस समलैंगिक पुरुषों में आए हैं. इन पुरुषों को त्वचा से त्वचा के सीधे संपर्क में आने से ये वायरस फैला है. हालांकि मंकीपॉक्स एचआईवी की तरह एसटीडी नहीं है. इस बीच दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के इंस्टिट्यूट ऑफ़ क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी के शोधकर्ताओं ने मंकीपॉक्स वायरस पर एक स्टडी की है. जिसमें पता चला है कि स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन बंद होने से मंकीपॉक्स के केस बढ़े हैं.

85 फीसदी सुरक्षा प्रदान करती है चेचक की वैक्सीन

डॉ. वाटल ने कहा कि चेचक का टीका इस संक्रमण से 85% तक सुरक्षा प्रदान करता है, इसलिए चेचक के टीकाकरण के कार्यक्रम पर अब विचार करने की आवश्यकता है और विशेष रूप से 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए रोड मैप बनाने की जरूरक है. इसके लिए उच्च जोखिम वाले व्यक्ति के बोझ पर विचार करने की आवश्यकता है और संभावित दवा Tecovirimat का स्टॉक जमा करना चाहिए.

सर गंगा राम अस्पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी कि वरिष्ठ सलाहाकार डॉ संघमित्रा दत्ता का कहना है कि चेचक की बीमारी का जानवरों के संपर्क से संक्रमण का कोई मामला नहीं देखा गया था. ये ह्यूमन टू हम्यून ट्रांसमिशन के जरिए फैलता है. जबकि मंकीपॉक्स जूनोटिक वायरस है जो जानवरों से इंसान में और फिर एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, जिसकी औसत मृत्यु दर 3-6% है.

देश में मंकीपॉक्स के 14 मामले

भारत ने 14 मंकीपॉक्स मामलों की पुष्टि की है. दिलचस्प बात यह है कि इसे एक शक्तिशाली यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) के रूप में पहचाना जा रहा है. हालांकि ऐसा नहीं है. ये वायरस जानवरों से इंसानों में भी फैलता है. अब तक मंकीपॉक्स करीब 100 देशों में फैल चुका है.


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com