September 22, 2024

अंकिता भण्डारी हत्याकाण्डः पूर्व सीएम हरीश रावत ने आरोपियों को जुडिशियल कस्टडी में भेजे जाने पर उठाये सवाल

देहरादून। अंकिता भण्डारी हत्याकाण्ड से पूरे प्रदेश में आक्रोश है। शनिवार को सुबह एसडीआरएफ की टीम ने चीला बैराज से अंकिता भण्डारी के शव को बरामद किया है। अंकिता के परिजनों ने शव शिनाख्त कर दी है। और पोस्ट मार्टम के लिए भेज दिया है। वहीं पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर दिया है।

वहीं सीएम धामी ने कहा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जायेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुलिस उपमहानिरीक्षक पी० रेणुका देवी के नेतृत्व में इस मामले की त्वरित जां के लिए एसआईटी का गठन किया है। आरोपियों के गैर कानूनी रूप से बने रिजॉर्ट पर बुल्डोजर द्वारा कार्रवाई भी की गई है।

लेकिन विपक्ष और लोग रिजार्ट को बुलडोजर से ध्वस्त की किये जाने की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों को कहना है कि आरोपी रसूखदार हैं और साक्ष्य मिटाने की गरज से ऐसा किया गया है। वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी रिर्जाट पर बुल्डोर चलाने के फैसले पर सवाल खड़े किये हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये लिखा कि ‘अंकिता का हत्यारा। आज एक समाचार पत्र में यह प्रकरण छपा है कि कैसे इनको हमने सारे दबावों को झेलते हुए वह दबाव बाहर से भी थे, एकाध और लो भी थे जिनका दबाव था। मगर इनको नकलची और नकल रैकेट चलाने के लिए और एक संस्था जिसको हम आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय कहते हैं उसको नष्ट करने की सम्भावना को देखते हुए हमने निष्कासित कर दिया था।

कालांतर में किन परिस्थितियों में कौन लोग थे, जिन्होंने उस निष्कासित व्यक्ति को फिर से एडमिशन दिया। एडमिशन मिल जाता है एक निश्चित अवधि के बाद लेकिन ऐसे व्यक्तियों को वहां की पूरी व्यवस्था को संचालित करने का अधिकार कैसे मिल गया! यह एक भारी महत्वपूर्ण प्रश्न है! क्योंकि जिस व्यक्ति ने अंकिता की हत्या की है, उस व्यक्ति का नाम आयुर्वेदिक संस्था के बहुत सारे प्रकरणों में आता है।

उसके रिजॉर्ट पर बुलडोजर चलाने का फैसला किसका था, मैं समझ नहीं पाया। लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आया जिस व्यक्ति को हत्या के साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस रिमांड पर भेजा जाना चाहिए था, उसको जुडिशियल रिमांड पर कैसे भेज दिया गया है? और क्यों नहीं प्रयास किए जा रहे हैं कि वापस पुलिस रिमांड पर लिया जाए!

आखिर अंतिम निर्णय पर जब न्यायालय के सामने ये चीजें आएंगी तो फिर साक्ष्य मायने रखेंगे। रिसॉर्ट में जो साक्ष्य जुटाए जा सकते थे वो बुलडोजर के हवाले हो जाएंगे और बाकी साक्ष्य जुटाने का जो दायित्व पुलिस का है, उससे जुडिशियल कस्टडी के नाम पर बच जाएंगे। वैसे कुछ पार्टियां नैतिकता का बड़ा दम भरती हैं। लेकिन इस मामले में संबंधित लोगों की पंहुच इतनी बड़ी है कि जिस पार्टी के वो सदस्य हैं, उस पार्टी ने भी अभी तक उनके निष्कासन के विषय में कोई कार्यवाही नहीं की है!

हमने जिन संस्थाओं को खड़ा किया, मैं बिना साक्ष्य के कुछ कहना नहीं चाहता लेकिन नियुक्तियों के प्रकरण में कुछ बातें आई हैं, उस पर भी यदि लोग मुझे चुनौती देंगे तो मैं उस पर भी कुछ कहूंगा, तो यह अंकिता प्रकरण गंभीरता के साथ एक पुलिसीय एंगल से कि अपराधी को सजा मिलनी है इस दृष्टिकोण से जुटाये जाने चाहिए और उसी दृष्टिकोण से निर्णय भी लिए जाने चाहिए, और ऐसे अपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों को किन लोगों का संरक्षण है, वह चीजें भी सामने आनी चाहिए।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com