राजस्थान सियासी संकट: नहीं हुआ वन-टू-वन संपर्क, यह अनुशासनहीनता- विधायकों की बैठक पर माकन
राजस्थान में सियासी संकट गरमा गया है, अब इस लड़ाई में गहलोत समर्थक और कांग्रेस आलाकमान आमने-सामने आ गए हैं. कांग्रेस के बागी विधायकों ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश के बावजूद पर्यवेक्षक अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को मिलने से मना कर दिया. इस बाबत अजय माकन ने बताया कि विधायक दल की मीटिंग बुलाई गई थी और हमलोग इंतजार करते रहे. उन्होंने कहा कि विधायकों के नहीं आने पर उनसे हमलोग लगातार वन-टू-वन संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले से तय एक आधिकारिक मीटिंग का बहिष्कार करना अनुशासनहिनता की श्रेणी में आता है.
सोनिया गांधी को कराएंगे अवगत
अजय माकन ने कहा कि इस पर हमलोगों ने फिर मना किया कि कांग्रेस के इतिहास में कभी कंडिशन लगाकर कोई रिजोल्यूशन पास नहीं हुआ है. फिलहाल हम और खड़गे जी अब दिल्ली जा रहे हैं और सभी अपडेट से कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को पूरे मामले से अवगत करवाएंगे.
मंत्री धारीवाल के घर पर बैठक
इतना ही नहीं अजय माकन ने कहा कि पहले से तय एक आधिकारिक मीटिंग के समानांतर कोई अनाधिकृत मीटिंग बुलाना अनुशासनहिनता की श्रेणी में आता है. उन्होंने कहा कि पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई गई थी. इसके समानांतर में मंत्री धारीवाल के घर पर बैठक की गई. यह प्रथम दृष्टि में अनुशासनहीनता का ही काम है. आगे देखते हैं कि उन पर क्या कार्रवाई होती है.
बहादुर विधायकों ने अपने आलाकमान को ललकारा
वहीं इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. इस राजनीतिक संकट पर राजस्थान विधानसभा के उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर ने कहा कि जब पूरे मंत्री मंडल ने त्यागपत्र दे ही दिया है, तो अकेले मुख्यमंत्री क्या करेंगे? मुख्यमंत्री को मंत्रीमंडल की आपात बैठक बुलाकर सदन को भंग करने की सिफारिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार अस्थिरता की ओर बढ़ चली है. राजेंद्र राठौर ने कहा कि पहली बार बहादुर विधायकों ने अपने आलाकमान को ललकारा है.
भारत जोड़ो यात्रा पर तंज
राजस्थान राजनीतिक संकट पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा पर तंज किया. उन्होंने कहा कि ‘भारत जोड़ो’ में मनोरंजन कम हुआ अब राजस्थान में भी शुरू हो गया है. राज्य में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है. यह पार्टी सिर्फ सत्ता का सुख भोगना चाहती हैं, जनता की सेवा नहीं करना चाहती.