September 22, 2024

पूर्व सीएम हरीश रावत ने ने राजनीति से संन्यास लेने का बनाया मन!

देहरादून। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राजनीति से संन्यास लेने का मन बना लिया है. इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की है। जिसमें उन्होंने साफ लिखा है कि उत्तराखंड कांग्रेस अभी नहीं लगता अपने को बदलेगी। व्यक्ति को अपने को बदलना चाहिए। मेरा मन कह रहा है कि जिनके हाथों में बागडोर है उन्हें रास्ता बनाने दो।

हरीश रावत ने अपनी पोस्ट पर उत्तराखंड में कांग्रेस संगठन पर कुछ सवाल भी खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि कोई भी अस्त्र या कवच आधे अधूरे प्रयासों से निर्णायक असर पैदा नहीं करता है। मैं पार्टी को इस अस्त्र के साथ खड़ा नहीं कर पाया। यह मेरी विफलता थी। उत्तराखंडियत को लेकर पार्टी से एकजुटता के बजाए अन्यथा संदेश गया. अंततः जीतते-जीतते कांग्रेस हार गई।

हरीश रावत ने आगे कहा कि मैं आशीर्वाद मांगने भगवान बदरीनाथ के पास गया था। भगवान के दरबार में मेरे मन ने मुझसे स्पष्ट कहा है कि हरीश आप उत्तराखंड के प्रति अपना कर्तव्य पूरा कर चुके हो। उत्तराखंडियत के एजेंडे को अपनाने व न अपनाने के प्रश्न को उत्तराखंड वासियों व कांग्रेस पार्टी पर छोड़ो। हरीश रावत ने कहा कि सक्रियता बहुधा ईर्ष्या व अनावश्यक प्रतिद्वंदिता पैदा करती है।

मेरा मन कह रहा है कि जिनके हाथों में बागडोर है उन्हें रास्ता बनाने दो। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की समाप्ति के एक माह बाद स्थानीय और राष्ट्रीय परिस्थितियों का विहंगम विवेचन कर मैं कर्म क्षेत्र व कार्यप्रणाली का निर्धारण करूंगा। थोड़ा विश्राम अच्छा है। फिर भारत जोड़ो यात्रा का इतना महानतम कार्यक्रम है।

हरिद्वार के प्रति मेरा कृतज्ञ मन अपने सामाजिक, सांस्कृतिक व वैयक्तिक संबंधों व निष्ठा को बनाए रखने की अनुमति देता है। मैं अपने घर गांव व कांग्रेसजनों को हमेशा उपलब्ध रहूंगा। पार्टी की सेवा हेतु मैं दिल्ली में एक छोटे से उत्तराखंडी बाहुल्य क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दूंगा। पार्टी जब पुकारेगी मैं, उत्तराखंड में भी सेवाएं देने के लिए उत्सुक बना रहूंगा।

हरीश रावत ने कहा कि 2017 में पार्टी की चुनावी हार पर कहा कि चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी से बड़ा दल-बदल भी भाजपा को सत्ता में नहीं ला सकता था। भाजपा को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, मोदी के व्यक्तित्व, पुलवामा और बालाकोट से उत्पन्न प्रचंड आंधी, यूपी में समाज को हिंदू मुसलमान के रूप में बंटने का अधिक लाभ मिला।


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