कोरोना के नए वेरिएंट BF.7, XXB का दुनिया में तेजी से प्रसार, क्या ये फिर है खतरे की आहट? जानें सबकुछ
कोरोना वायरस के मामले अब भारत सहित दुनियाभर में निचले स्तर पर जाते दिख रहे हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोना वायरस के एक्टिव मामलों की संख्या 26 हजार के करीब है, जो देश के कुल पॉजिटिव मामलों का 0.06 प्रतिशत है. वहीं भारत का पॉजिटिविटी रेट इस समय 1.86 प्रतिशत है. हालांकि, अब चिंता का विषय कोरोना के नए वेरिएंट बने हुए हैं. चलिए अब आपको इन वेरिएंट्स से जुड़ी अहम जानकारी देते हैं.
कई देश में अब ओमिक्रोन सब-वेरिएंट जैसे बीएफ.7 और XBB तेजी से पैर पसारते दिख रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ओमिक्रोन का BA.5 सब-वेरिएंट दुनियाभर में प्रमुख बना हुआ है, जो अकेले 76.2 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है. भारत की बात करें तो यहां BA.4 और BA.5 सब-वेरिएंट कभी भी प्रमुख वेरिएंट नहीं बने. ताजा स्थिति के मुताबिक BA.2.75 अधिकांश संक्रमणों का कारण बना हुआ है.
नए वेरिएंट पर वैज्ञानिकों की नजर
विशेष रूप से अमेरिका में बीक्यू.1, बीक्यू.1.1, और बीएफ.7 की वैज्ञानिक लगातार निगरानी कर रहे हैं, क्योंकि इनके मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल-यूएसए के आंकड़ों के अनुसार, बीक्यू.1 और बीक्यू.1.1 प्रत्येक में कुल मामलों का 5.7 प्रतिशत है, जबकि बीएफ.7 में 5.3 प्रतिशत है.
यूनाइटेड किंगडम में BQ.X वेरिएंट और BF.7 जांच के दायरे में है, क्योंकि वे प्रमुख BA.5 पर जमीन हासिल करते हैं. यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, BF.7 ने कोविड-19 मामलों में 7.26 प्रतिशत का योगदान दिया और BA.5 की तुलना में 17.95 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.
भारत और सिंगापुर में XBB वेरिएंट
उधर, सिंगापुर में रीकॉम्बिनेंट वेरिएंट XBB के कारण कोविड के मामलों में बड़ी उछाल देखने को मिली है. यह 54 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है. वैज्ञानिकों के अनुसार, XBB दो ओमिक्रोन सब-लाइनेज BJ.1 और BA.2.75 का संयोजन है. हालांकि, XBB भारत में भी फैल रहा है.
Sars-CoV-2 के एक वैज्ञानिक ने कहा, “BA.2.75 भारत में प्रमुख संस्करण था, जो पिछले सप्ताह तक लगभग 98 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार था. हालांकि, XBB बढ़ रहा है, जिससे महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में 20 से 30 प्रतिशत संक्रमण हो रहा है.” वैज्ञानिक ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल की तीन बड़ी प्रयोगशालाएं देश के अन्य हिस्सों की तुलना में अधिक नमूनों की जांच कर रही है और इसलिए वहां नए वेरिएंट्स की पहचान की जा रही है.
कोरोना के नए वेरिएंट कितने खतरनाक?
कोरोना के इन वेरिएंट्स से संक्रमण तो फैल रहा है, लेकिन ज्यादातर संक्रमित व्यक्तियों को अस्पताल ले जाने की आवश्यकता फिलहाल तक नहीं लग रही है. सीडीसी के आंकड़े बताते हैं कि 12 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में अमेरिका में दर्ज मामलों की संख्या पिछले सप्ताह की तुलना में 11.9 फीसदी कम थी. अस्पताल में भर्ती होने में 4.4 फीसदी और मौतों में 8.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.
दूसरी ओर, यूनाइटेड किंगडम ने अक्टूबर में अस्पताल में भर्ती होने और मौतों में वृद्धि देखी है. सिंगापुर ने भी अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में वृद्धि दर्ज की है, लेकिन गंभीर मामलों की संख्या अभी भी कम ही है. भारत की स्थिति पर वैज्ञानिक ने कहा, “हालांकि XBB अधिक संक्रमित प्रतीत होता है, लेकिन अस्पताल में भर्ती या मृत्यु में कोई वृद्धि नहीं हुई है. नए वेरिएंट्स का अभी तक कोई क्लीनिकल महत्व नहीं है.”
हरियाणा के रीजनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ. सुधांशु व्रती ने कहा, “उभरते वेरिएंट एक दूसरे में ज्यादा फैल भी रहे हैं और प्रतिरक्षा से बचने में बेहतर हैं. आबादी के एक बड़े हिस्से में अब या तो टीकाकरण या संक्रमण के माध्यम से प्रतिरक्षा है, इसलिए वायरस को जीवित रहने के लिए अनुकूलित करने की आवश्यकता है. हालांकि, यह गंभीर मामलों और अस्पताल में भर्ती होने की ओर नहीं ले जा रहा है. अधिकांश कोविड-19 मामलों में लोगों को गले में खराश, खांसी और बुखार हो रहा है और वे तीन दिनों में ठीक हो रहे हैं.”
क्या सर्दी में भारी उछाल देखने को मिल सकता है?
डॉ. व्रती ने कहा कि त्योहारों के मौसम में भीड़भाड़ वाली जगहों पर लोगों के इकट्ठा होने की वजह से ऐसा हो सकता है. उन्होंने कहा, “मामले बढ़ने की संभावना है, लेकिन यह किसी वेरिएंट के कारण नहीं होगा. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि लोग त्योहारों के दौरान एक साथ आ रहे हैं और अब मुश्किल से ही मास्क लगा रहे हैं.”
यह पूछे जाने पर कि क्या बीमारी ने मौसमी पैटर्न का पालन करना शुरू कर दिया है, डॉ व्रती ने कहा, “अभी तक यह बताने के लिए कोई नैदानिक सबूत नहीं है कि कोविड-19 का मौसमी पैटर्न है. यह सोचा गया था कि बारिश के मौसम में संख्या बढ़ सकती है या गर्मी के महीनों में कम हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.”