September 22, 2024

रूस ने भारत संग फिर निभाई दोस्ती, नए नक्शे में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर पाकिस्तान को लगेगी मिर्ची

भारत और रूस के बीच दोस्ती जगजाहिर है और दोनों ने एक-दूसरे को अनगिनत मौकों पर मदद भी की है. अभी यूक्रेन पर हमला शुरू करने की वजह से रूस दुनिया के ज्यादातर देशों की आलोचना का सामना कर रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी दबाव के बावजूद भी भारत ने हमले के लिए खुलकर उसकी आलोचना नहीं की, यहां तक संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ लाए गए कई प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान अनुपस्थित भी रहा. वहीं रूस भी इस दोस्ती को लगातार बढ़ाता रहा है और एक बार भी उसने इस रिश्ते को आगे बढ़ाया है.

Sputnik 1

रूसी न्यूज एजेंसी स्पुतनिक की ओर से SCO के सदस्य देशों के जारी मैप

PoK को माना भारत का हिस्सा

इस मैप ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और एससीओ के अंदर जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर भारत की स्थिति को और मजबूत ही किया है. यह सब तब हुआ है जब पिछले दिनों पीओके में अमेरिकी राजदूत की ओर से दौरा किया गया था. अपने दौरे के दौरान अमेरिकी राजदूत ने इसे ‘आजाद कश्मीर’ करार दिया था. यहां तक जर्मनी के विदेश मंत्री ने भी हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से जारी कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की भूमिका का सुझाव दिया था.

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पिछले दिनों मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि चीन ने एससीओ के लिए जारी किए गए अपने मैप में भारत के कुछ हिस्सों को अपने इलाके के हिस्से के तौर पर दिखाते हुए एक तरह से कब्जा जमाने की कोशिश की थी. माना जा रहा है कि एससीओ के संस्थापक सदस्यों में से एक रूस की ओर से भारत के नक्शे का सही चित्रण दोनों की दोस्ती को और मजबूत करता है.

भारत का समर्थन करता रहा रूस

रूस शुरुआत से ही वैश्विक स्तर पर भारत का समर्थन करता रहा है और कई मौकों पर संयुक्त राष्ट्र में उसकी मदद भी की है. सोवियत संघ और रूस ने 1947 से कश्मीर पर भारत का पूरजोर तरीके से समर्थन किया था और भारत विरोधी प्रस्तावों को रोकने के लिए यूएनएससी में अपने विशेष वीटो पावर का इस्तेमाल भी किया था. मॉस्को ने बार-बार कहता रहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है, वह इस विवाद के निपटारे के प्रयासों के लिए अंतरराष्ट्रीयकरण के खिलाफ है.

भारत भी जवाब में रूस की कई बार मदद कर चुका है. हालिया यूक्रेन संकट पर अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों की ओर चेताए जाने के बावजूद रूस की एक तरह से मदद करता रहा. भारत ने यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की कभी भी खुलकर निंदा नहीं की.

रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत पर इस बात के लिए काफी दबाव बनाया गया कि वह रूस की आलोचना करे, लेकिन भारत की ओर से हमेशा दोनों देशों से युद्ध को खत्म करने की अपील की जाती रही. यही नहीं रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने के लिए यूएन में प्रस्ताव लाए गए, लेकिन प्रस्ताव की वोटिंग के दौरान भारत ने हिस्सा नहीं लिया और गैरहाजिर रहा.


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