September 22, 2024

4 दशक में भाजपा कैसे बनी देश की सबसे बड़ी पार्टी, 8 पॉइंट में समझिए

1 अक्टूबर, 1951, वो तारीख जब देश में सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी की नींव पड़ी. पिछले 8 साल से केंद्र में रहकर यह रिकॉर्ड बनाने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी बन गई है, पर इसकी शुरुआत इतनी आसान नहीं रही है. 300 से ज्यादा सीटें जीतने वाली भाजपा ने एक ऐसा दौर भी देखा है जब पार्टी को लोकसभा चुनाव में मात्र 2 सीटें ही जीत पाई थीं. भाजपा के इस सफर की शुरुआत हुई 1951 से जब दिल्ली में डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी. जिसका चुनाव चिन्ह था जलता हुआ दीपक.

1- जनसंघ से बनी जनता पार्टी

1957 में हुए लोकसभा चुनाव में जनसंघ पार्टी को 4, 1962 में 14, 1967 में 35 सीटें मिलीं. 1977 में कई राजनीतिक दल जनसंघ में मिल गए और इस तरह इसे नया नाम दिया गया- जनता पार्टी. 1977 में आपातकाल के बाद जब लोकसभा सभा चुनाव हुए तो पार्टी ने 295 सीटें जीतें और केंद्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनी. उस सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेशी मंत्री थे और लालकृष्ण आडवाणी सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने.

2- आंतरिक कलह के बाद भाजपा का जन्म

केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद आंतरिक कलह बढ़ने से पार्टी टूट गई. इस कलह के बाद जब 1980 में लोकसभा चुनाव हुए तो पार्टी को मिली करारी हार के बाद नई पार्टी बनने की योजना बनी. इस तरह अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा का गठन हुआ. अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने.

3- 2 सीटों से भाजपा की शुरुआत

भाजपा के गठन के बाद 1984 में जब लोकसभा का चुनाव हुए तो पार्टी को केवल 2 सीटें मिली. इसके बाद शुरू हुआ राममंदिर आंदोलन. आंदोलन का ऐसा असर पड़ा कि 1989 के चुनाव में 80 से अधिक सीटें जीतकर भाजपा किंगमेकर बन गई. 1996 के चुनाव में पार्टी ने रिकॉर्ड बनाया और 161 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और केंद्र में सरकार बनाई लेकिन बहुमत नहीं होने लम्बे समय तक चल नहीं पाई.

4- कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी बनी

1999 में पार्टी फिर सत्ता में आई और 2004 तक सत्ता में रहकर कार्यकाल पूरा किया. इस तरह भाजपा अपना कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी बन गई. हालांकि यह एक गठबंधन वाली सरकार थी.

5- जब 2004 के चुनाव में धराशायी हो गई

2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और भाजपा ने शाइनिंग इंडिया का नारा दिया, लेकिन जनता का समर्थन नहीं मिला. नतीजा, भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. 2009 का चुनाव भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में लड़ा गया लेकिन इस बार भी सफलता नहीं मिली. 2004 से लेकर 2014 तक भाजपा विपक्षी पार्टी रही.

6- प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई

गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रमुख चेहरा बनाया गया. चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा गया. जनता का भरपूर समर्थन मिला और 282 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ पार्टी ने सत्ता में वापसी की. इस तरह नरेंद्र मोदी राज्य से केंद्र की राजनीति का हिस्सा बने और प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. यह पहला ऐसा मौका था जब भाजपा ने अपने दम पर सरकार बनाई थी.

7- 2019 में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा

2019 के लोकसभा चुनाव ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा. 2014 में 282 सीटें मिली थीं. 2019 में सीटों की जीत का आंकड़ा बढ़कर 303 पहुंच गया था. नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. यह जीत भाजपा के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक रही. पहली बार 303 सीटों पर जीत मिली. दूसरी, चुनाव में पार्टी ने सबसे ज्यादा पैसे खर्च करने का रिकॉर्ड बनाया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरे चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जिसमें से 45 फीसदी तक भाजपा ने खर्च किए थे.

8- 42 सालों के सफर में पार्टी को मिले 11 अध्यक्ष

अटल बिहारी वाजपेयी 1980 में बनी भाजपा के पहले अध्यक्ष बने थे. पिछले 42 सालों के सफर में अब तक पार्टी को 11 अध्यक्ष मिल चुके हैं. भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं.


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