September 22, 2024

फेडरल रिजर्व में फिर बढ़ाई ब्याज दरें, भारत पर ऐसे दिखेगा असर

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों में वृद्धि की. एक झटके में 0.75 फीसद ब्याज की बढ़ोतरी की गई. बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए फेडरल बैंक ने यह कदम उठाया. यह चौथा मौका है जब लगातार ब्याज दरों में वृद्धि की गई है. हालांकि केंद्रीय बैंक का कहना है कि आने वाले समय में इन दरों में कमी की जाएगी और महंगाई भी घटेगी. इसी के साथ कम अवधि वाले कर्ज का रेट 3.75 फीसद से बढ़कर 4 फीसद हो गया है जो कि पिछले 15 साल का सबसे ऊंचा स्तर है.

ब्याज दरों में बुधवार की बढ़ोतरी एक साल में छठवीं बार है. इस बढ़ोतरी के चलते अमेरिका में हर तरह के लोन बहुत अधिक महंगे हो गए हैं. इससे विकास दर को धक्का लग रहा है जिससे मंदी की आशंका बन गई है. हालांकि एक बयान में फेड रिजर्व ने कहा है कि वह जल्द ही इसका समाधान निकालेगा और ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ रहा है, इस पर विचार के बाद फेड की ओर से जल्द ही कोई अगला कदम उठाया जाएगा. इसमें दरों में कटौती का निर्णय लिया जाना शामिल है. फेड ने माना है कि ब्याज दरें बढ़ने से विकास और महंगाई पर असर देखा जा रहा है.

आगे क्या करेगा अमेरिकी फेड

फेड रिजर्व के पॉलिसी बनाने वालों का मानना है कि ब्याज दरें बढ़ने से कर्ज महंगा हुआ है जिसके चलते लोग कम कर्ज ले रहे हैं. इससे लोगों का खर्च कम हुआ है जिससे महंगाई कम हो रही है. महंगाई कम होने पर फेड को उस रफ्तार से ब्याज दरें नहीं बढ़ानी होगी, जैसे वह पहले बढ़ा चुका है. महंगाई अगर नियंत्रण में आ जाए तो ब्याज दरों में कटौती भी संभव है. हालांकि इतनी जल्दी यह कटौती होती नजर नहीं आती.

कर्ज महंगा होना, महंगाई में वृद्धि और विकास दर में कमी के चलते लोगों की नौकरियां जा रही हैं. अमेरिकी घरों का खर्च पहले की तुलना में बहुत अधिक बढ़ गया है. दूसरी ओर महंगाई को कम करने के लिए अमेरिकी फेड रिजर्व लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहा है. बुधवार की बढ़ोतरी के बाद इस बात की संभावना तेज हो गई है कि दिसंबर में भी पॉलिसी रेट पर एक मीटिंग होगी और दरें बढ़ाने पर विचार हो सकता है. हालांकि दिसंबर में 75 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी नहीं होगी और संभावना है कि 0.50 परसेंट की वृद्धि देखी जाए.

भारत पर क्या होगा असर

फेड रिजर्व की दरों में वृद्धि का असर पूरी दुनिया पर देखा जाता है. अमेरिकी कर्ज महंगा होगा तो उस पर आश्रित रहने वाले देशों के कर्ज या खर्च भी महंगे होंगे. वहां से मंगाए जाने वाले सामान के रेट भी बढ़ जाएंगे. अमेरिका में रहने वाले भारतीय लोगों की कमाई घटेगी और वे जिस तेजी से जितनी रकम भारत में भेजते हैं, उसमें कमी आएगी. अमेरिका में बढ़ा खर्च भारत आने वाले रेमिटेंस पर दिखेगा.

अगला बड़ा असर अमेरिकी शेयर मार्केट पर दिखेगा क्योंकि उसमें गिरावट रहेगी. वहां के शेयर मार्केट में गिरावट से भारत की आईटी कंपनियां सबसे अधिक प्रभावित होंगी. इन कंपनियों की ट्रेडिंग कम होगी जिससे कंपनियों के मुनाफे को तगड़ा झटका लगेगा. ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर दुनिया की करेंसी पर दिखेगा. अभी अमेरिकी डॉलर मजबूत बना हुआ है और ब्याज बढ़ने से इसकी मजबूती और बढ़ी जा रही है. दूसरी ओर भारतीय रुपये में लगातार गिरावट है. रुपये में गिरावट का बुरा प्रभाव देश के विकास और जीडीपी पर देखा जा सकता है.


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