November 25, 2024

दांव पर छात्र राजनीति का भविष्य, शासन और विवि के बीच फंसा पेंच, छात्र आंदोलन को मजबूर

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देहरादून। प्रदेश के 119 महाविद्यालयों और पांच राज्य विश्वविद्यालयों में पिछले दो साल से छात्रसंघ के चुनाव नहीं हुए। इस साल चुनाव होने हैं या नहीं इसे लेकर शासन और विभाग के बीच पेच फंसा है।

हालांकि विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि चुनाव पर सरकार की तरफ से कोई रोक नहीं है। यह विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को तय करना है कि चुनाव होने हैं या नहीं।

प्रदेश में कोविड की वजह से वर्ष 2020 और 2021 में छात्रसंघ के चुनाव नहीं हो पाए थे, लेकिन अब जबकि पंचायत चुनाव और इससे पहले विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं, विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र, छात्रसंघ चुनाव को लेकर आंदोलनरत हैं। छात्रों का कहना है कि महाविद्यालयों में सभी कार्यक्रम हो रहे हैं।

कायदे से सितंबर व अक्तूबर में छात्र-संघ चुनाव हो जाने चाहिए थे, लेकिन समय से चुनाव नहीं कराए जा रहे, जबकि विश्वविद्यालयों का कहना है कि उनका राजकीय महाविद्यालयों पर चुनाव को लेकर कोई प्रशासनिक नियंत्रण नहीं है।

राज्य सरकार की ओर से चुनाव घोषित किए जाने के बाद ही विश्वविद्यालय अपने परिसर में छात्र संघ चुनाव करा सकेंगे। वहीं शासन का कहना है कि यह नीतिगत मामला है, जो उच्च स्तर से देखा जाएगा।

प्रदेश में अक्तूबर 2019 में सभी महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में एक ही दिन छात्र संघ चुनाव कराए गए थे। एक दिन में छात्र संघ चुनाव को सरकार ने बड़ी उपलब्धि बताया था, जबकि अब विभागीय मंत्री का कहना है कि छात्र संघ चुनाव होंगे या नहीं। इसे सरकार नहीं बल्कि महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को तय करना है।

वहीं श्रीदेवसुमन विवि के कुलपति डॉ० पीपी ध्यानी का कहना है कि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव राज्य सरकार का विषय है। विश्वविद्यालय अपने स्तर से छात्रसंघ चुनाव की घोषणा नहीं कर सकते हैं।

वहीं छात्र संगठन एनएसयूआई के निर्वतमान प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्र-संघ चुनाव को लेकर बिना वजह देरी की जा रही है, यदि जल्द चुनाव नहीं कराए गए तो छात्र आंदोलन तेज करने को बाध्य होंगे।