पर्वतीय क्षेत्रों के लिए वरदान हो सकती है ऑरिगेनो की खेती
श्रीनगर। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय का वानिकी एवं प्राकृतिक संसाधन विभाग प्लास्टिक मल्चिंग विधि का प्रयोग करके ऑरेगैनो की सफल खेती की दिशा में कार्य कर रहा है। विभाग ने पर्वतीय क्षेत्रों में खेती से रोजगार पैदा करने की दिशा में सफल प्रयोग किये है और तथ्य पेश किए हैं कि यदि वन तुलसी यानि ओरिगैनो की खेती को प्लास्टिक मल्चिंग विधि से किया जाए तो किसानों को विशेष फायदा हो सकता है।
विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जितेंद्र बुटोला का कहना है कि पिज्ज़ा, बर्गर जैसे कई फास्ट फूड में ऑरिगैनो मसाले की मांग बहुत अधिक है, जिसकी वैज्ञानिक खेती से काश्तकारों को न सिर्फ आमदनी का फायदा हो सकता है बल्कि खरपतवार जैसी समस्याओं से भी निजात मिल सकती है। विश्वविद्यालय की ओर से टिहरी जनपद के भिलंगना और जाखनीधार में प्लास्टिक मल्चिंग विधि से का प्रयोग करके ऑरिगेनो की उन्नत खेती की गई है ।