रामनगर: छात्र संगठन आइसा का नगर सम्मेलन सम्पन्न
नई शिक्षा नीति को बताया छात्र विरोधी
रामनगर। आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसियेशन (आइसा) ने अपना नगर सम्मेलन करते हुए नई शिक्षा नीति को छात्र विरोधी व निजीकरण हितैषी करार दिया है। कार्यक्रम की शुरुआत आ गए यहां जवां कदम, इस लिए राह संघर्ष की हम चुनें जैसे क्रांतिकारी गीतों से हुई।
व्यापार मंडल कार्यालय में हुए सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कुमाऊं विश्वविद्यालय कार्यपरिषद सदस्य, एडवोकेट कैलाश जोशी ने कहा कि, ‘उत्तराखण्ड सरकार नई शिक्षा नीति 2020’ को लागू करने वाला पहला राज्य होने का दावा कर रही है पर हमारे स्कूलों, महाविद्यालयों की जमीनी हालात बद से बदतर होती जा रही है।
शिक्षकों के सैकड़ों पद रिक्त हैं, शिक्षण संस्थानों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। सरकार नई शिक्षा नीति की आड़ में असल में न केवल शिक्षा के निजीकरण को तेज कर रही है बल्कि पाठ्यक्रमों में अंधविश्वास, रूढ़िवादिता को बढ़ावा दे भारतीय संविधान की मूलभूत संरचना की ही धज्जियां उड़ा रही है।
सेमेस्टर के नाम पर महाविद्यालयी शिक्षा में बिना पढ़ाये ही परीक्षा की तैयारियां शुरू कर दी गयी है। हमें ऐसी शिक्षा नीति के लिए संघर्ष तेज करना होगा जो न केवल निःशुल्क सरकारी व्यवस्था हो बल्कि भारतीय संविधान के तहत समता, समानता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को मजबूत करती हो।’
सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि पूर्व आइसा नेता रहे डॉ० कैलाश पांडेय ने कहा कि शिक्षा और रोजगार को लेकर केंद्र व राज्य दोनों ही सरकारों ने छात्र युवाओं को ठगने का ही काम किया है। 2014 में मोदी यह कहते हुए सत्ता में आये थे कि हर वर्ष 2 करोड़ लोगों को नौकरियां देंगे, परंतु अब पता लग रहा है कि यह सिर्फ चुनावी जुमला मात्र था।
मोदी सरकार के 8 सालों बाद स्थिति यह है कि नौकरी करने के काबिल लोगों में से बहुत कम संख्या को ही रोजगार मिल पाया है। वह भी अस्थाई किस्म का। सेना तक में ठेका प्रथा लागू कर अग्निवीर भर्ती किये जा रहे हैं। अब नयी शिक्षा नीति के नाम पर पूरी शिक्षा व्यवस्था को भी ठेके पर देने की तैयारी कर ली गयी है इसीलिए एन ई पी को बिना संसद के पटल पर रखे लागू किया जा रहा है।
एडवोकेट विक्रम मावड़ी ने कहा कि, अपनी स्थापना के वर्ष 1990 से ही आइसा ने छात्र नौजवानों के बुनियादी सवालों पर जुझारू पहलकदमी लेते हुए अपनी क्रांतिकारी छवि बनाई है। उत्तराखण्ड में भी आइसा का संघर्षों का इतिहास रहा है. आइसा ने फीस वृद्धि, पुस्तकालय, कैम्पस लोकतन्त्र,करप्शन व महिलाओं की सम्मानजनक सुरक्षित जिंदगी के सवालों पर हमेशा संघर्ष किया है।
इस अवसर पर 13 सदस्यीय नगर कमेटी का गठन किया गया जिसमें से सुमित को अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष मुस्कान व ज्योति फर्त्याल,सचिव अर्जुन सिंह नेगी, उपसचिव रोहित खत्री, प्रचार सचिव मो. रिहान, तकनीकी संस्थान प्रभारी पीयूष को चुना गया. अन्य कार्यकारिणी सदस्यों में नेहा, रिंकी, आरज़ू सैफी, रेखा, उमेश कुमार शामिल हैं. नगर सम्मेलन के अवसर पर अनीता, संजना, काजल, हिमानी, प्राची, दीपक, ज्योति, कोमल, भावना, आकांक्षा, खुशी बिष्ट, श्वेता आदि छात्र छात्राओं ने सक्रिय रूप से भागीदारी की।
आइसा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुमित ने कहा कि, आइसा छात्र छात्राओं के हितों के लिए संघर्ष को कटिबद्ध है। नयी नगर कमेटी छात्र छात्राओं को संगठित करने का कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि बिना पढ़ाई के सेमेस्टर परीक्षा का आयोजन करवाना छात्र हित के खिलाफ है। पहले पढ़ाई हो फिर परीक्षा करवाई जाय।
सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किये गये कि सेमेस्टर परीक्षा तभी करवायी जाय जब कोर्स पूरा हो जाय; सभी छात्रों को पुस्तकें उपलब्ध करवायी जाएं; बीएड कोर्स सेल्फ फायनेंश के स्थान पर सामान्य फीस पर संचालित किया जाय; एन ई पी को वापस लिया जाय।