UTTARAKHAND: मतलबपरस्त हो चले है, ‘सस्ती’ फीस’ में डाक्टरी करने वाले!
देहरादून। पाबौ ब्लॉक की एक महिला के फैक्चर हाथ में गत्ता लगा फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये महिला पाबौ ब्लॉक के सैंजी गांव की रहने वाली है। जो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पाबौ में अपना इलाज कराने आई थी। लेकिन वहां के डाक्टरों ने उसके हाथ में गत्ता बांधकर रैफर कर दिया।
सैंजी गांव प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ० धन सिंह रावत के विधानसभा के अंतर्गत आता है। लिहाजा रस्म के मुताबिक उनके राजनीतिक विरोधियों को उनपर हमला करने का एक मौका और मिल गया। लेकिन मूल समस्या का हल राजनीतिक विरोधियों के पास भी नहीं है। दरअसल हम उस समाज का हिस्सा है जहां मास्टर की नौकरी सरकारी चाहिए और डाक्टरी के लिए निजी अस्पताल। और ये देहरादून, हल्द्वानी में ही हो।
यहां पर फिलहाल प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की बात हो रही है। तो दैनिक हिंदुस्तान की खबर है जिसकी हैडलाइन है ‘डाक्टरों ने 6 करोड़ चुका दिये लेकिन पहाड़ नहीं गये’ का जिक्र करना जरूरी है। ये वो डाक्टर है जिन्होंने अपनी गरज निकालने के लिए जनता के पैसों से राज्य के मेडिकल कॉलेजों में डाक्टरी की पढ़ाई की और डाक्टर बनने का सपना पूरा किया। जब उस जनता की सेवा करने की बारी आयी तो मुकर गये।
प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल अब किसी से छिपा नहीं है। सरकार की ओर से पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरस्त करने के लिए कई जतन किये गये हैं। डाक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए राजकीय मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले डाक्टरों के साथ बॉड की व्यवस्था की गई।
जिसके मुताबिक जिसके तहत डाक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन डॉक्टरों को प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में सेवाएं देनी होती है। लेकिन बॉड के मुताबिक कई डाक्टरों ने पर्वतीय क्षेत्रों में तैनाती तो ली पर कुछ समय बाद वह गायब हो गये।
हालांकि सरकार के तरफ बॉड तोड़ने वाले इन डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई गई तो ऐसे कई डाक्टरों ने शर्तो के मुताबिक हर्जाना भी भर दिया। एक तरह से कहें तो अपना पिंड छुड़वा दिया। कानूनी तौर पर अब ये बॉड से मुक्त हो चले है लेकिन समाज में ऐसे डाक्टरों को खुदगर्ज, मौकापरस्त, मतलबपरस्त ही कहा जा सकता है।
मंगलवार को एक स्वास्थ्य विभाग के एक कार्यक्रम के दौरान कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि डॉक्टरों की कमी एक बड़ी चुनौती है। लेकिन सरकार इस कमी का दूर करने का लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने आश्वस्त किया कि 2025 तक प्रदेश में डाक्टरों की कोई कमी नहीं रहेगी। उन्होंने साथ में जानकारी साझा करते हुए कहा कि सरकार पीपीपी मोड के तहत प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि मैदानी क्षेत्रों में निजी और सरकारी क्षेत्र के कई मेडिकल कॉलेज है। सरकार का अब फोकस अब पर्वतीय क्षेत्रों में है।