कृषि मंत्री जोशी की पहल लाई रंग, सेब उत्पादन को प्रोत्साहित करने को शासनादेश जारी
देहरादून। एप्पल मिशन योजना के तहत सेब उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषकों के सुझावों के बाद शुक्रवार को तीनों मॉडलों को ध्यान में रखते हुए शासनादेश जारी किया गया।
कृषि मंत्री गणेश जोशी की पहल रंग लाते दिख रही है। राज्य में पहली बार किसानों के साथ संवाद के बाद तीनों मॉडलों में से कृषकों को चयन की स्वतंत्रता प्रदान करने सम्बन्धी शासनादेश जारी किया गया। इसमें 03 मॉडलों को सम्मिलित किया गया है जिससे सेब उत्पादन को बढ़ावा के साथ कृषकों की आय में वृद्धि एवं स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार सृजन में लाभकारी साबित होगा।
एम-9, एम-7 एवं अन्य सीरिज आदि क्लोनल रूट स्टाक आधारित स्पर प्रजाति के सेब बगीचों की स्थापना और एमएम-106, एमएम-111 या अन्य सीरिज आदि रूट स्टक आधारित स्पर प्रजातियों के बगीचों और सीडलिंग रूटस्टाक आधारित अतिसघन बगीचों की स्थापना की जाएगी।
राज्य किसानों के हित में मिशन एप्पल योजना के अन्तर्गत निम्नलिखित मुख्य शर्तो को सम्मिलित किया गया है। काश्तकार स्वेच्छा से अपनी आवश्यकतानुसार किसी भी मानक/विशिष्टियों के अनुसार सेब बागानों की स्थापना कर सकता है। सेब बगीचों की स्थापना के लिए उच्च गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री का प्रजाति वार चयन काश्तकार अपनी आवश्यकतानुसार करने को स्वतंत्र है।
पौध रोपण सामग्री का राज्य के बाहर से आयात किया जाता है तो पौधों का रेंडमली डीएनए फिंगर प्रिंट लिया जाएगा। बारकोड लागू करने की कार्यवाही की जाएगी।
योजनानुसार सेब बागानों की अधिकतम लागत 12 लाख का 80 प्रतिशत या अधिकतम 9.60 लाख सहायता देय है। अधिकतम लागत 12 लाख का 20 प्रतिशत कृषक अंश की 2.40 लाख या क्षेत्रफल के अनुसार समानुपातिक पर कृषक की ओर से वहन किया जाएगा। कृषक अंश की धनराशि का बैंक ड्राफ्ट मुख्य कार्यकारी अधिकारी, औद्यानिक विपणन बोर्ड, देहरादून के नाम तैयार कर सम्बन्धित मुख्य/जिला उद्यान अधिकारी/ उद्यान विशेषज्ञ कोटद्वार के माध्यम से उपलब्ध कराना होगा।
राज्य में सेब बागान स्थाापित करने वाले कृषकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कृषक अपने अंश की धनराशि की व्यवस्था के लिए सहकारिता विभाग में संचालित दीनदयाल उपाध्याय किसान सहकारिता योजना के अन्तर्गत ब्याज रहित ऋण प्राप्त कर सकता है।
काश्तकारों को 0.04 हे० से 0.40 तक (02 नाली से 20 नाली तक) समानुपातिक लाभान्वित किया जाएगा। बगीचे की स्थापना करने वाली संस्था को मानकों के अनुरूप पौधो के रोपण व सफलता की गारन्टी लेनी होगी और पौध रोपण उपरान्त 03 वर्षों तक काश्तकार को पौधों की ट्रैनिंग, कटाई-छटाई, खाद/उर्वरक/माइक्रो न्यूट्रेट व सिंचाई की जानकारी दी जाएगी।
सम्बन्धित विभागीय अधिकारी, कर्मचारी समय-समय पर बगीचे का भ्रमण कर आवश्यक दिशा-निर्देश देंगे। यदि बगीचा असफल होता है तो बगीचा स्थापित करने वाले संस्था कर्मचारी की भी जिम्मेदारी निर्धारित की जाएगी।