बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत, संजय निषाद ने अखिलेश यादव का सबसे बड़े मुद्दे पर किया समर्थन, समझें सियासी मायने
लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी अब जातिगत जनगणना के मुद्दे को धार देने में लगी है. पार्टी गांव-गांव जाकर इस मुद्दे पर आंदोलन की तैयारी कर रही है. इसके जरिए सपा ने बीजेपी के खिलाफ 80 बनाम 20 का कार्ड खेल दिया है जिसमें बीजेपी फंसती हुई नजर आ रही है. वहीं अब अखिलेश यादव के इस मुद्दे पर बीजेपी को एक और झटका लगा है. बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी ने अखिलेश यादव के इस सबसे बड़े मुद्दे को अपना समर्थन दिया है. निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा कि जातीय जनगणना होनी चाहिए.
जहां जातीय जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी शांत है, ऐसे में योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने इसका समर्थन कर बीजेपी की मुसीबतें बढ़ा दी है. संजय निषाद ने कहा कि जातीय जनगणना होनी चाहिए, इससे सभी जातियों की सही संख्या सामने आ जायेगी. संजय निषाद से जब रामचरितमानस पर मचे बवाल को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इशारों-इशारों में स्वामी प्रसाद मौर्य को अधर्मी तक कह दिया और कहा कि इसी तरह से दो-चार नेता सपा को और मिल जाएंगे तो पार्टी डूब जाएगी.
कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने इस दौरान सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर पर भी तीखा हमला किया है. उन्होंने कहा कि वो सुबह चाय कहीं और पीते हैं, दोपहर में कहीं और, शाम को कहीं और होते हैं. उनका कोई भरोसा नहीं है कि कल वह कहां रहेंगे.
बीजेपी के मिशन 80 को झटका लगता दिख रहा है
दिलचस्प बात यह है कि अखिलेश यादव के इस मुद्दे पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी अपनी सहमति जता चुके हैं. केशव मौर्य ने पिछड़ी राजनीति को बढ़ावा देते हुए जाति आधारित जनगणना की विपक्ष की मांग का समर्थन किया. मौर्य ने कहा, मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं. न तो मैं और न ही मेरी पार्टी इस विषय पर विपक्ष में हैं
राजनीतिक जानकारों की माने तो सपा ने इस मुद्दे के साथ लोकसभा चुनाव की लड़ाई को 80 बनाम 20 का बना दिया है. जिसमें 80 फीसद दलित और ओबीसी वर्ग है जबकि 20 फीसदी सवर्ण है. सपा अब इस मुद्दे पर खुलकर खेल रही है ताकि पार्टी के साथ ओबीसी और दलित वोटर जुड़ सकें. वहीं पार्टी ने गांव-गांव जाकर आंदोलन छेड़ने की रणनीति तैयारी की है. जिससे बीजेपी के मिशन 80 को झटका लगता दिख रहा है.