वीवीआईपी नियुक्ति के लिए शासन स्तर पर फिर तैयारी
-श्री देव सुमन विवि में रिक्त कुलसचिव के पद पर वीवीआईपी नियुक्ति करने की तैयारी पूरी
-मैरिट लिस्ट से गायब हुये योग्य उम्मीदवार, सेटिंग गेटिंग का खेल
देहरादून। विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र की उपनल के माध्यम हुयी तैनाती के बाद जहां विधानसभा अध्यक्ष संगठन और सरकार के निशाने पर पर आ गये है। वहीं दूसरी ओर अब सीएम कार्यालय और उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत की सिफारिश से एक और सेटिग गेटिंग का खेल शुरू हो गया है। इतना ही नहीं मैरिट लिस्ट से उन उम्मीदवारों को भी बाहर कर दिया गया है जो इस पद के लिए पूर्ण योग्यता रखते हैं। जबकि जिस के लिए बिसात बिछ रही है वह इस पद के लिए पूर्ण योग्यता भी नहीं रखता है और सरकार का सीधा कर्मचारी भी नही है। जबकि मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री ने फाइल अनुमोदित कर यह कहते हुये अपर मुख्य सचिव के पास भेज दी है कि चाहे कुछ भी हो जाए, चयन चहेते का ही होना चाहिए। ऐसे में कई सवाल भी खडे हो गये है और प्रदेश में एक बडे आंदोलन की रूप रेखा भी तैयार हो गयी है।
ताजा मामला श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय बादशाहीथौल टिहरी गढवाल में कुलसचिव के रिक्त पद पर नियुक्ति को लेकर चल रहा है। उक्त पद पर नियुक्ति को लेकर एक ऐसे अध्यापक को तैनाती देने की सेटिंग शुरू की गयी है जो अशासकीय महाविद्यालय में सहायक प्रवक्ता के पद पर कार्यरत है। जबकि विज्ञप्ति में 15 वर्ष का अनुभव व किसी भी विश्वविद्यालय में परीक्षा करवाने अथवा उससे सबंद्ध रहने तथा विश्वविद्यालय प्राधिकारियों से संबंधित कार्य का अनुभव होना जरूरी है। लेकिन यहा मुख्यमंत्री कार्यालय व उच्च शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत के दबाव मे शासनस्तर पर अधिकारी दबाव में है और कम योग्यता रखने के बावजूद भी उक्त अध्यापक को कुलसचिव के पद पर बैठाने की तैयार है। ऐसे में सवाल खडा होता है कि जब विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र की आउटर्सोसिंग एजेंसी के माध्यम से नियुक्ति होने पर बवाल हो सकता है और खुद की सरकार व संगठन के निशाने पर आने के बाद उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ सकता है तो फिर सेटिंग गेटिंग से विवि का कुलसचिव कैसे नियुक्ति किया जा सकता है। जबिक एक ओर सरकार महाविद्यालयों में अध्यापकों की कमी का रोना रो रही है तो वहीं दूसरी ओर अपने चहेतों को नियमों को ताक पर रखकर नियुक्ति देने के लिए बेताब है। जबकि श्री देव समुन विश्वविद्यालय पहले ही कार्य अधिकता, कैपस न होने, परीक्षा सम्बन्धी कार्यों के अतिरिक्त बोझ होने के कारण सुर्खियों में है। आलम यह है कि विवि के कुलपति डा.यूएस रावत के पास भी दो-दो विश्वविद्यालयों का अतिरिक्त कार्यभार है। डॉ0 रावत भी विश्वविद्यालय में कम ही बैठ पाते हैं, ऐसे में कम योग्यता रखने वाले कुलसचिव की नियुक्ति की जाती है तो भविष्य में इसका दूरगामी असर विश्वविद्यालय पर पडेगा। एक ओर सरकार राज्य में उच्च शिक्षा के विकास के कसीदे पढ रही है, वहीं दूसरी ओर श्री देव सुमन जैसा महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय जो कि गढ़वाल मण्डल के क्षेत्र के उच्च शिक्षण संस्थानों का एकमात्र सम्बद्धता प्रदाता राज्य विश्वविद्यालय है, स्थापना के समय से ही एक अदद योग्य कुलसचिव की तैनाती हेतु तरस रहा है।
गौरतलब हो कि उक्त पद के लिए अपर मुख्य सचिव कार्यालय उत्तराखंड शासन ने 11 जनवरी 2018 को जारी आदेश जारी किया। जिस आदेश के आधार पर श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय द्वारा 19 जनवरी को विज्ञप्ति जारी की गयी थी। विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारी दी गयी है कि 6600 ग्रेड पे के आधार पर कुलसचिव का पद प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरा जायेगा, जिसके बिन्दु ग में लिखा गया है कि उपयुक्त अभ्यर्थी के मामले में उच्चतर वेतनमान में कम अनुभव पर भी विचार किया जायेगा।
इसी तरह दून विश्वविद्यालय में कुलसचिव के पद हेतु पृथक सेवा शर्तें निधारित हैं । दोनों ही राज्य विश्वविद्यालय हैं और सेवा शर्तें अलग-अलग होने कुछ और ही इशारा कर रहा है। जबकि उत्तंराचल राज्य विश्वविद्यालय (केन्द्रीयत) अधिनियम 2006 कुलसचिव के पद का शैक्षिक अर्हता, अनुभव तथा अधिमानी अर्हतायें एवं नियुक्ति के लिए अनुमोदित अभ्यर्थी उपलब्ध न होने पर कुलसचिव की प्रतिनियुक्त किये जाने की स्पष्ट व्यवस्था का वर्णन किया गया है, किन्तु सरकार नियमों को दरकिनार कर जीरोटालरेशन (प्रेरक वाक्य) का कार्य करने जा रही है, वाह डबल इंजन की सरकार।
विज्ञाप्ति योग्यताओं के अनुरूप वरीयता उन आवेदकों को दी जानी है जो विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अनुभव यथा सहायक/उपकुलसचिव के पदों के निर्वहन का अनुभव रखते हों, किन्तु अनुभवधारी आवेदकों को दरकिनार कर राजनैतिक पार्टी विशेष से सम्बद्ध एक अशासकीय शिक्षक को एडजस्ट करने की पूरी तैयारी कर ली गयी है। उक्त अभ्यर्थी के चयन को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय व उच्च शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने ऐडी चोटी का जोर लगा दिया है। जबकि अशासकीय महाविद्यालय में तैनात इस शिक्षक के डेप्यूटेशन को लेकर प्रबंधन समिति नियमावली भी आडे आ रही है। अशासकीय प्रबंधन समिति के नियमों के तहत प्रथम नियुक्ता प्रबंधन है ऐसे में उसका कर्मचारी अधिकारी उसके अंदर आता है, जिसे सरकार सीधे तौर से कार्ययोजित नहीं कर सकती है। नाम न छापने की शर्त पर शहर के ही एक अशासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य ने बताया कि अशासकीय विद्यालय के कर्मचारी अध्यापक व अधिकारी को सरकार के किसी भी विभाग में नहीं भेजा जा सकता है, लेकिन अगर उक्त अधिकारी अपने पद से त्यागपत्र दे देता है तो उसे नहीं रोका जा सकता है।
सूत्रों की माने तो उक्त पद के लिए कुल 09 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है व इसमें आषीश उनियाल उत्तराखंड तकनीकी विष्वविद्यालय में पांच वर्ष डिप्टी रजिस्ट्रार व परीक्षा नियंत्रक, मंगल सिंह वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में डिप्टी रजिस्ट्रार व पूर्व में औद्यानिक विश्वविद्यालय में कुलसचिव, संजकुमार ध्यानी पूर्व में डिप्टी रजिस्ट्रार उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में भी कार्य कर चुके हैं, दिनेष चंद्र वर्तमान में स्थायी उपकुलसचिव के पद पर श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में ही कार्यरत है , वीएन बहुगुणा वर्तमान मे अधिशासी अभियंता एचएनबी गढवाल विश्वविद्यालय में कार्यरत है, हंसराज बिष्ट पूर्व में डिप्टी रजिस्ट्रार श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में कार्य कर चुके है, दीपक भट्ट, अध्यापक, महिपाल सिंह अध्यापक, दीपक कुमार सहायक रजिस्ट्रार इंद्रप्रस्थ विवि है।
कौन हुआ बाहर और कौन हुआ अंदर
अंतिम तीन की सूची
01- दीपक भटृ
02- संजय कुमार ध्यानी
03- दिनेष चन्द्रा
—-ये हुए चयन से बाहर
01- आषीश उनियाल, 02-मंगल सिंह मंद्रवाल, 03-बीएस बहुणुणा,04-हंषराज सिंह बिश्ट, 05-महिपाल सिंह, 06-दीपक कुमार
जिन तीन लोगों का चयन किया गया है उनमें से एक ऐसे अभ्यर्थी का चयन किया गया है जो प्रषासनिक अनुभव भी नहीं रखते है। इसके बावजूद भी उन्हे विष्वविद्यालय के कुलसचिव पद पर बैठाने की पूरी तैयारी कर दी गयी है। जबकि उक्त अभ्यर्थी वर्तमान में एक अशासकीय महाविद्यालय में सहायक प्रवक्ता के पद पर कार्यरत है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ चहेतों के लिए ही मलाइदार पद रह गये है।
बयान
हम सरकार से योग्य उम्मीदवार के चयन की मांग करते है।
अगर अयोग्य व नियमों के विपरीत नियुक्ति की जाती है तो संगठन इसका पूरजोर विरोध करता है। इस संबंध में तत्काल उच्च शिक्षा मंत्री से मुलाकात की जायेगी और योग्य उम्मीद वार के चयन के लिए कहा जायेगा। ऐसे न होने की स्थिति में प्रदेशभर में आंदोलन किया जायेगा।
शांति प्रसाद भटृट,
महामंत्री उत्तराखंड क्रांति दल
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एक और सरकार बेरोजगारों के ऊपर लाठी चार्ज कर रही है तो वहीं दूसरी ओर सेटिंग गेटिंग से नौकरियों की बंदरबाट की जा रही है। श्री देव सुमन विश्वविद्यालय में पहले की समय पर परीक्षाओं का संचालन नहीं हो पा रहा है, ऐसे में कम अनुभव के अभ्यर्थी को तरहजीह देना ठीक नहीं है। संगठन इसका विरोध करता है।
सचिन थपलियाल, संरक्षक प्रदेश बेरोजगार संघ।