WHO का अलर्ट: Sars-CoV-2 के बाद अब Mers-CoV का खतरा, गंभीर स्थिति में किडनी फेलियर का रहता है जोखिम

कोरोना के जारी संक्रमण के बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने अब MERS-CoV को लेकर अलर्ट किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात में MERS-CoV के पहले मामले का पता लगाया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सभी लोगों को इस वायरस के जोखिमों को लेकर अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
आइए जानते हैं कि ये MERS-CoV क्या होता है और इसके क्या जोखिम कारक हो सकते हैं?
इस साल दर्ज हुआ पहला केस
गौरतलब है कि MERS-CoV भी एक वायरल श्वसन बीमारी है जो कोरोनोवायरस (CoV) के कारण ही होता है। इसके लक्षण कोरोना संक्रमण से ही मिलते-जुलते हो सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कुछ संक्रमितों को बुखार और खांसी हो सकती है जिसके आगे चलकर निमोनिया में बदलने की भी आशंका होती है। इसके अलावा रोगियों को पेट दर्द, मतली, उल्टी और दस्त जैसे पाचन तंत्र के लक्षणों का अनुभव भी हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, MERS-CoV संक्रमण के लक्षण गंभीर रोगकारक भी हो सकते हैं, जिसमें कुछ रोगियों में गंभीर श्वसन समस्या या किडनी फेलियर भी देखी जाती रही है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वालों या जिन लोगों को कोई क्रोनिक बीमारी जैसे (मधुमेह, किडनी या फेफड़ों की बीमारी) है उनमें इसके गंभीर रोग होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक MERS-CoV ज्यादातर उन लोगों में फैलता है जो चरवाहों या ऊंट के संपर्क में आते हैं। इसके अलावा किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से भी इसके संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है। MERS-CoV संक्रमण को रोकने के लिए वर्तमान में कोई टीका नहीं है। लेकिन कुछ उपायों को अपनाकर इसके जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है।
- अपने हाथ धोते रहें। साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोएं।
- खांसते या छींकते समय अपनी नाक और मुंह को रुमाल से ढकें।
- बार-बार छुई जाने वाली सतहों को छूने के बाद हाथों की स्वच्छता का विशेष ख्याल रखें।
- बीमार लोगों के साथ व्यक्तिगत चीजों को साझा न करें।