सन्नी दयोल का बंगला नहीं होगा नीलाम, रामलाल ने किश्त न दी तो घर पर नोटिस चस्पा
– 2022-23 में 2 लाख करोड का कर्ज राइट-ऑफ, दस लाख करोड़़ से अधिक हुआ एनपीए
– 1600 करोड़ के कर्ज में डूबे हैं उत्तराखंड के किसान, सन्नी का ढाई किलो का हाथ, किसानों के रोटिवेटर पर भारी
गुणानंद जखमोला
उत्तराखंड में मानसून के कारण भारी आपदा है। कई जगह सड़कें और संपर्क मार्ग टूटे हैं। सेब किसानों की उपज मंडी तक नहीं पहुंच रही है। कई जगह बाढ़ जैसे हालात हैं और धान की फसल समेत साग-सब्जियां सड़ने लगी हैं। किसान मुसीबत हैं। इसके बावजूद किसानों को हर हाल में बैंक से लिए कर्ज की किश्त चुकानी है। नही ंतो उसके घर पर कुर्की का नोटिस चिपक सकता है। एक किसान और आम आदमी के पास सिवाए इज्जत के कुछ नहीं होता। बैंक का एक नोटिस भी आ जाएं तो वह शर्मसार हो जाता है, लेकिन विडम्बना देखिए कि बड़े उद्यमी और सिलेब्रेटी बैंक की रकम डकार जाएं तो बैंक उनसे वसूली करने से कहीं अधिक उस रकम को एनपीए में डाल देता है या उसको राइट आफ कर देता है।
अभिनेता सन्नी दयोल ने बैंक आफ बड़ौदा से 56 करोड़ का कर्ज लिया और नहीं चुकाया। बैंक ने उनके जुहू स्थित बंगले की ई-नीलामी करने का फैसला लिया। बेस प्राइस 51 करोड़ रखी गयी थी लेकिन महज 20 घंटे में ही उक्त नोटिस वापस ले लिया गया। बैंक इसके लिए तकनीकी दिक्कत बता रहा है। लेकिन सच तो यह है कि बैंक पर दबाव रहा होगा तो आक्शन वापस हो गया। लेकिन आम किसानों के साथ ऐसा नहीं होता। इसलिए देश में हर तीन घंटे में कर्ज में डूबा एक किसान आत्महत्या कर लेता है।
एनपीए यानी नॉन परफार्मिंग एसेट, जब बैंक अपने दिये ऋण को वसूली नहीं कर पाता तो इसे एनपीए करार देता है और जब एनपीए वसूल नहीं पाता तो उस कर्ज को डूबा हुआ मानकर बट्टे खाते में डाल देता है। यानी लोन राइट आफ। जानकारी के अनुसार देश के बैंकों ने 10 लाख करोड़ का एनपीए है। 2022-23 में जहां 209,144 करोड़ रुपये के कर्ज को राइट-ऑफ किया गया है। जबकि एक वर्ष पूर्व मार्च 2022 तक 174,966 करोड़ रुपये और मार्च 2021 तक बैंकों ने 202,781 करोड़ रुपये का कर्ज राइट-ऑफ किया था।
देश के 27 राज्यों के करीब 2.76 करोड़ किसानों ने रीजनल बैंकों से 2.58 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है हुआ है. अगर इस कर्ज को सभी किसानों में बांट दिया जाए तो हरेक किसान पर 93,657.29 रुपये का कर्ज है। उत्तराखंड में 2011 की जनसंख्या के हिसाब से 9 लाख 12 हजार 650 किसान हैं। प्रदेश के सभी 13 जिलों में किसानों का मध्यावधि ऋण करीब 25 करोड़ और अल्पावधि ऋण करीब 790 करोड़ 20 लाख 27 हजार है। आंकड़ों के अनुसार अभी केवल फसलों के लिए लिया गया ऋण ही 817 करोड़ 61 लाख 70 हजार है। इसके अलावा किसानों ने अन्य बैंकों से करीब साढ़े आठ सौ करोड़ कृषि उपकरणों के लिए ऋण लिया है। इस हिसाब से किसानों पर 16 सौ करोड़ से अधिक का कर्ज है।
अधिकांश किसान अपना ऋण समय पर चुकता कर रहे हैं। लेकिन आपदा प्रदेश के कारण किसानों को कई मुसीबतों का सामना करना होता है। बैंक नेताओं-अभिनेताओं और बिजनेसमैन का ऋण राइट आफ कर देते हैं लेकिन एक किसान को ऋण देने में हजार झंझट और शर्ते रखते है। यदि ऋण दे भी दे तो उसके साथ साहूकारों जैसा व्यवहार करते हैं। रामलाल यानी किसान ने यदि बैंक की एक किश्त भरने में देर लगाई तो उसके घर कुर्की का नोटिस चस्पा दिया जाता है हद है एक देश में बैंकों की दोयम नीति समझ से बाहर है। सन्नी दयोल का ढाई किलो का हाथ किसानों के हल और रोटीवेटर पर भारी पड़ गया।
वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला के फेसबुक वॉल से साभार