कहां लापता हैं पदमभूषण पर्यावरणविद् अनिल जोशी और पदमश्री मैती?

maiti

– पहाड़ जब बर्बाद हो जाएंगे, तब म्यूजियम में लगेगी इनकी स्टेच्यू
– पुरस्कार मिल गया है तो चुप, चुप, चुप और छिप, छिप और छिप।

गुणानंद जखमोला

उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 12 दिनों से 41 जिंदगियां फंसी हैं। रेस्क्यू आपरेशन चल रहा है। सारे प्रयास हो रहे हैं। अब तो रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम भी पीएमओ ने बुला ली है। जिंदा लोगों में बहस के साथ चिन्ता है कि टनल में फंसे सभी लोग सुरक्षित बाहर निकल आएं। उम्मीद है कि जल्द बाहर निकल भी आएंगे श्रमिक। इस पूरी बहस में यदि कोई बाहर नहीं निकला और न ही निकलेगा तो वह है पर्यावरण के नाम पर सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार हासिल करने वाले पदम भूषण अनिल जोशी और पदमश्री कल्याण सिंह रावत मैती। जब तक पुरस्कार नहीं मिला तो बहुत अच्छा काम किया और पुरस्कार मिलते ही चुप। पहाड़ों में सुरंग, अत्याधिक खनन, डिफारेस्टेशन, सड़कों का चौड़ीकरण, बांधों का निर्माण इन्हें सस्टेनेबल डिवलेपमेंट नजर आता है।

नवयुग कंपनी ने खर्च बचाने के लिए सुरंग निर्माण में सुरक्षा मानकों की जो कोताही की, वह भी सस्टेनेबल डिवलेपमेंट है। भले ही सुरंग में फंसे लोगों की जान खतरे में हो, लेकिन सुरंग को नुकसान न हो, इसका पूरा ध्यान है। ऐसे नाजुक मुद्दों पर क्या पर्यावरणविदों का सवाल उठाना लाजिमी नहीं है कि ये क्या हो रहा है हमारे पहाड़ में। पहाड़ दिल्ली को आक्सीजन और पानी देते हैं। किसी कवि ने दशकों पहले लिख दिया था कि यदि हिन्दुस्तान के सिर से हटा दिये जाएं पहाड़ तो क्या भारत के सिर पर एल्म्युनियम का कटोरा रखोगे?

ये पुरस्कार आपको पर्यावरण सजगता के लिए मिला है और इसके मिलते ही आपके मुंह पर अलीगढ़िया ताला लग गया है। इस ताले की चाबी क्या टिहरी झील में डूब गयी? ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि जब पर्यावरणविद अनिल जोशी और मैती चुप्पी साधे किसी कोने में पड़े रहे हों। केदारनाथ आपदा, ऋषिगंगा, जोशीमठ आपदा में भी कहीं नहीं बोले। सुना है कि अनिल जोशी को तो चम्पावत में भी बड़ा प्रोजेक्ट हाथ लगा है। तो उनके मुंह पर अलीगढ़ का एक और ताला लटक गया है और उस पर लिख दिया गया है सस्टेनेबल डिवलपमेंट।

भविष्य में जब कभी भी पर्यावरण के नाम पर पहाड़ बर्बाद होने का इतिहास लिखा जाएगा तो इसमें पदम पुरस्कार से सम्मानित अनिल जोशी और कल्याण सिंह मैती का नाम भी पहाड़ के गुनाहगारों की लिस्ट में शामिल होंगा। यदि म्यूजियम बनेगा तो वहां इन दोनों के स्टेच्यू लगेंगे कि ये हैं चुप्पी साधने वाले दो बड़ी हस्तियां।

वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला के फेसबुक से साभार