September 22, 2024

बताओ सरकार, अयोध्या में किसके लिए बना रहे हो भवन?

– मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, नैनीताल, गैरसैंण में बने भवन क्या आम जनता के काम आ रहे?
– एक अदद स्कूल या कालेज बना लेते तो नौनिहालों की किस्मत संवर जाती

गुणानंद जखमोला

सरकार ने अयोध्यापुरी में जमीन ले ली है। कितनी उदार सरकार है। 33 करोड़ की जमीन के लिए 35 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। अयोध्या में भवन बनाने में पर भी 100 करोड़ के आसपास तो खर्च होगा ही। इससे ज्यादा भी हो सकता है। सीएम धामी कह रहे हैं कि आम जनता के लिए होगा। जबकि हकीकत कुछ और ही है। सरकार जितने भी सरकारी भवन बनाती है, वीआईपी और अफसर-दलाल ही इन पर कब्जा जमाए रहते हैं। आम जनता तो होटल या धर्मशालाओं में ही रहती है।
मुंबई में उत्तराखंड भवन किस हाल में है? यह वैसे भी वासी में है जो कि काफी दूर है। चार-पांच साल में ही इसकी दीवारों पर दरारें बताई जा रही हैं। वहां उत्तराखंड का आम आदमी नहीं ठहरता। वहां के कर्मचारी इसका व्यवसायिक उपयोग करते हैं। कुछ दुकानें खुल गयी हैं।

दिल्ली में दो भवन हैं। एक पर आधा कब्जा सीएम है। कुछ कमरे गर्वनर के मेहमान और कुछ में हाईकोर्ट के जज ठहरते हैं। आम आदमी को देहरादून से यहां रहने के लिए चिट्ठी जारी करने के लिए ही जूते घिसने पड़ जाते हैं। यदि मिल भी जाएं तो सीएम आएं तो कमरे खाली करा दिये जाते हैं। दूसरे भवन में 72 कमरे हैं। यानी विधायकों के लिए रिजर्व। आम आदमी कहां है? लखनऊ में तो और भी बुरा हाल है। वहां कमरे खाली भी हों तो वहां का स्टाफ आम आदमी को कमरे देता ही नहीं है।

देहरादून में भी बीजापुर गेस्ट हाउस में कौन ठहरता है? पिथौरागढ़ से आया आम आदमी या चमोली के सीमांत गांव माणा का आदमी। भला हो जैन, अग्रवाल और पंजाबियों का। जिनकी धर्मशालाएं हैं तो सुदूर गांव से सरकारी काम करने आया पहाड़ी भी यहां कम पैसे में रह लेता है। गढ़वाल धर्मशाला का अता-पता नहीं और कुमाऊं भवन तो शायद है ही नहीं। सरकार कम से कम देहरादून में तो आम लोगों के रहने के बारे में सोचती। यहां बना लेती उत्तराखंड सदन।

आम आदमी के लिए नैनीताल क्लब में ठहरना क्या बच्चों का खेल है? दो-तीन हजार का टैरिफ होता है। उस पर भी कमरे के लिए जूते घिसो। रही बात गैरसैंण की। वहां वीआईपी नहीं ठहरते न ही नेता जाते हैं। उन्हें ठंड लगती है। ऐसे में आम आदमी वहां गांवों में ठहर लेगा।

अयोध्या में जिसकी श्रद्धा होगी वो जाएगा। वो ठहर भी जाएगा। वीआईपी के ऐशो-आराम के लिए आम जनता की कमाई को यूं लुटाना ठीक है क्या? भाजपा सरकार बताए कि पिछले सात साल में प्रदेश में एक अदद स्कूल या नया कालेज खोला हो? हां, स्कूल बदहाल और बंद जरूर हुए हैं।

वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला के फेसबुक वाल से साभार


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