September 22, 2024

धामी सरकार के तीन सालः महेन्द्र भट्ट ने गिनाई उपलब्धियां, तो गरिमा ने कहा प्रशासनिक तौर पर कमजोर है सीएम

देहरादून। उत्तराखण्ड में धामी सरकार को तीन साल पूरे हो चले हैं। दिल्ली से सीधे देहरादून पहुंचे प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेन्द्र भट्ट ने पार्टी दफ्तर में पत्रकार वार्ता आयोजित कर धामी सरकार की उपलब्धियों को बताया। उन्होंने कहा कि धामी सरकार ने प्रदेश के हित में जो फैसले लिये है उनकी देशभर में चर्चा हो रही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से मुख्य मीडिया प्रभारी गरिमा दसौनी ने धामी सरकार की तीन सालों पर अपनी टिप्पणी दी। गरिमा दसौनी ने कहा कि इन तीन सालों में उत्तराखंड और उत्तराखंडियत का नुकसान हुआ है। भू-कानून और मूल निवास को लेकर धामी सरकार का अब तक स्पष्ट नजरिया सामने नहीं आया है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि इन तीन वर्षों में मुख्यमंत्री ने क्रांतिकारी कदम उठाए और अन्य राज्यों के लिए ये मिसाल बने हैं। जबरन धर्मांतरण पर कड़ा प्रहार किया, कठोर कानून लेकर आए, लैंड जिहाद पर शिकंजा कसा, दंगा विरोधी कड़ा कानून लाने का काम हमारी सरकार ने किया।

उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का काम हमारी सरकार ने किया है। नारी सशक्तिकरण में अनेकों योजनाएं लाई गई। छात्र-छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति की योजनाएं लाई गई। बीजेपी अध्यक्ष में धामी की उपलब्धियां का बखान करते हुए कहा कि जी-20 समिट में बड़े स्तर पर एमओयू करार हुए। अभी तक 71 हजार करोड़ की ग्राउंडिंग हो चुकी है। होमस्टे बनाने वालों के लिए स्पेशल छूट सरकार ने दी है। उन्होंने कहा कि धामी सरकार इन तीन सालों में समाज के हर तबके के लिए काम किया है।

प्रशासनिक तौर कमजोर साबित हुए सीएमःदसौनी

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की मुख्य मीडिया प्रभारी गरिमा दसौनी ने कहा कि इन तीन सालों में उत्तराखंड और उत्तराखंडियत दोनों को हुआ नुकसान हुआ है। मूल निवास और भू कानून पर सरकार का कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं आया है। प्रदेश सरकार ने गैरसैण को भी भुला दिया है। दसौनी ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रशासनिक तौर पर एक बहुत ही कमजोर मुख्यमंत्री साबित हुए।

उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार अपने चरम पर रहा। प्रदेश में लोकायुक्त का गठन तो नहीं हो पाया परंतु भर्ती घोटालो में भाजपाइयों की संलिप्तता की वजह से मुख्यमंत्री कि पूरे देश भर में किरकिरी हुई।

दसौनी ने कहा कि इन्वेस्टर सम्मिट को पुष्कर सिंह धामी की उपलब्धि बताई जा रही है तो सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि कि इसके आयोजन में प्रदेश का कितना पैसा खर्च हुआ और कितना निवेश 2 साल बाद आ चुका है? कौन से विभाग मे कितने उद्योग लगे और कितने उत्तराखंडी युवाओं का रोजगार का जुगाड़ हुआ?


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