जब प्लेन हाईजैक में फंस गए थे विदेश मंत्री के पिता, एस. जयशंकर ने सुनाया 40 साल पुराना किस्सा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को एक हैरान कर देने वाला खुलासा किया। उन्होंने बताया कि 1984 में एक प्लेन हाईजैक के दौरान उनके पिता भी उसमें फंस गए थे। हालांकि वह खुद उस समय एक अधिकारी थे और जिस तरह से उन्होंने हालातों को डील किया वह एक अनोखा नजरिया था। बता दें कि विदेश मंत्री हाल ही में आई IC814 वेब सीरीज को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। इस पर उन्होंने कहा कि उनके पिता 1984 में अपहृत विमान में सवार थे। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में उनके पास “दोनों पक्षों” परिवार के सदस्यों और सरकार में बैठे लोगों के दृष्टिकोण को लेकर एक अनोखा नजरिया था
आईसी814 के अपहरण पर पूछा गया सवाल
दरअसल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर जिनेवा में एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उनसे 1999 में आईसी814 के अपहरण पर हाल में जारी वेब सीरीज के बारे में एक सवाल पूछा गया। इस सवाल का जवाब देते हुए एस. जयशंकर ने कहा, ‘‘कैसे एक युवा अधिकारी के रूप में मैं उस टीम का हिस्सा था, जो अपहरण के मामले से निपट रही थी। वहीं दूसरी तरफ, मैं उन परिवारों के सदस्यों में शामिल था जो अपहरण के बारे में सरकार पर दबाव डाल रहे थे।’’
विदेश मंत्री ने बताया 40 साल पहले क्या हुआ
एस. जयशंकर ने कहा कि उन्होंने यह सीरीज नहीं देखी है। उन्होंने हालांकि अपहरण की घटना के संबंध में अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा, ‘‘1984 में एक विमान का अपहरण हुआ था, मैं एक बहुत ही युवा अधिकारी था। मैं उस टीम का हिस्सा था जो इससे निपट रही थी। मैंने अपनी मां को फोन करके बताया कि मैं नहीं आ सकता, अपहरण हो गया है। मुझे पता चला कि मेरे पिता उस विमान में थे। विमान दुबई में जाकर रुका। सौभाग्य से, किसी की जान नहीं गई, लेकिन कुछ गलत भी हो सकता था।’’
पठानकोट से हाईजैक हो गई थी फ्लाइट
बता दें कि पांच जुलाई 1984 को इंडियन एयरलाइंस के विमान को पठानकोट से अपहरण कर दुबई ले जाया गया। लगभग 36 घंटे के बाद 12 खालिस्तान समर्थक अपहरणकर्ताओं ने अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और सभी 68 यात्रियों और छह चालक दल के सदस्यों को बिना किसी नुकसान के रिहा कर दिया गया। उस समय जयशंकर एक आईएफएस अधिकारी थे और सेवानिवृत्ति के बाद केंद्र सरकार में मंत्री बने। उनके पिता के. सुब्रह्मण्यम एक आईएएस अधिकारी थे और रणनीतिक मुद्दों पर नियमित रूप से टिप्पणी किया करते थे।