September 23, 2024

चीन ने क्यों पीछे हटाया कदम? ड्रैगन को सता रहा है किस बात का डर? पढ़ें 3 कारण

रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास युद्ध और बांग्लादेश हिंसा के कारण दुनियाभर में परेशानी की स्थिति बनी हुई है। मगर इसी बीच भारत के लिए एक अच्छी खबर सामने आ रही है। भारत और चीन के रिश्ते अब बेहतर होने लगे हैं। स्वीटजरलैंड के दौरे पर मौजूद भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने जिनीवा में बड़ा बयान दिया। विदेश मंत्री का दावा है कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी से जुड़ी 75 प्रतिशत समस्याएं हल हो चुकी हैं। आखिर चीन के इस नरम रवैये का क्या कारण है?

1. बांग्लादेश में अमेरिका की एंट्री

बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के पीछे अमेरिका का हाथ बताया जा रहा है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ इलाकों को मिलाकर अमेरिका एक ईसाई देश बनाना चाहता है। इन दावों में कितनी सच्चाई है? इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। हालांकि अगर यह दावे सच साबित होते हैं, तो भारत और चीन दोनों की परेशानियां बढ़ सकती हैं।

2. पड़ोसी देशों ने बढ़ाई ‘टेंशन’

दक्षिण एशिया में चल रही उठा पटक ना सिर्फ भारत बल्कि चीन के लिए भी परेशानी का सबब बन गई है। म्यांमार और बांग्लादेश में तख्तापलट हो चुका है। अफगानिस्तान तालीबान के कब्जे में है। वहीं पाकिस्तान में चीन ने बड़ा निवेश किया है, लेकिन आर्थिक संकट से जूझता पाकिस्तान भी गृह युद्ध की कगार पर है। ऐसे में भारत से दोस्ती बरकरार रखना चीन के लिए जरूरी विकल्प बन गया है।

3. अमेरिकी चुनाव भी हैं वजह

अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव भी चीन की परेशानी की वजह हो सकते हैं। इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के कयास लगाए जा रहे हैं। ट्रंप का चीन से छत्तीस का आंकड़ा है। पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने चीन पर जमकर टैरिफ लगाए थे, जिससे दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर शुरू हो गई थी। ऐसे में ट्रंप की वापसी और भारत की अमेरिका से नजदीकी चीन के लिए दोगुनी मुश्किल खड़ी कर सकती है।

4 घंटे में पोस्ट डिलीट

इन्हीं वजहों से चीन ने भारत के प्रति नरम रवैया अपना रखा है। इसका एक उदाहरण तब देखने को मिला जब विदेश मंत्री ने मीडिया के सामने चीन को भारत की सबसे बड़ी चुनौती करार दे दिया। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने विदेश मंत्री के इस बयान की आलोचना की लेकिन 4 घंटे के अंदर ही यह पोस्ट डिलीट कर दी गई।

अगले महीने होगा मोदी-शी का सामना

अक्टूबर में रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन होने वाला है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिंनपिंग आमने-सामने होंगे। ऐसे में भारत और चीन के रिश्ते क्या मोड़ लेते हैं? यह देखना बेहद दिलचस्प होने वाला है।


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