सपा मध्य प्रदेश में मुकाबले को तिकोना बनाने की तैयारी में
यूपी के बाहर पांव पसारने में जुटी सपा को सबसे ज्यादा उम्मीदें मध्य प्रदेश से हैं। पार्टी ने यहां शुरुआती फीडबैक लेने के बाद अब यहां सभी 320 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि यहां की मुख्य खिलाड़ी कांग्रेस बसपा को जूनियर पार्टनर के तौर लेने को तैयार दिखती है, लेकिन सपा को लेकर वह उत्साहित नहीं है। ऐसे में सपा यहां अकेले ही लड़ने को तैयार है।
अखिलेश यादव 19 व 20 को मध्य प्रदेश के दौरे पर जाकर वहां की चुनावी तैयारियों की समीक्षा करेंगे। मध्य प्रदेश में कांग्रेस व बसपा में चुनावी तालमेल की संभावनाएं बन रहीं हैं। इस तालमेल में कांग्रेस ने सपा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। ऐसे में सपा यहां अकेले ही भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी में है। सपा की तरह बसपा का भी यहां कहीं-कहीं थोड़ा बहुत असर रहा है।
अब यूपी में भले ही सपा-बसपा मिल कर भाजपा के खिलाफ लड़ें लेकिन मध्य प्रदेश में जहां बसपा चुनाव लड़ेगी, वहां सपा का रुख देखने लायक होगा। सपा की उम्मीदें इसलिए यहां भी ज्यादा है कि क्योंकि वर्ष 1993 के विधानसभा उपचुनाव में पहली बार खाता खोला। एक वक्त ऐसा आया कि उसे यहां सात सीटें जीतने में कामयाबी मिली।
सपा की पांव जमाने की कोशिशें
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पिछले साल कई मौकों पर कहा था कि उनकी पार्टी का जनाधार लगातार कमजोर हो रहा है। जरूरत है कि इसे यूपी से बाहर भी पहचान दिलाई जाए। सपा पहले भी दूसरे राज्यों में कहीं कहीं असर रखती रही है। इस साल अखिलेश ने सपा को मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए चुनावी तैयारी करने की रणनीति बनानी शुरू की। इसी साल 12 जून को अखिलेश ने मध्य प्रदेश के पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। इससे पहले उन्होंने मई में भोपाल, सतना व सीधी जिले का दौरा किया।
सपा की परफार्मेंस
विधानसभा चुनाव सीट वोट प्रतिशत
1998 4 1.42
2003 7 3.7
2008 1 1.89
2013 0 0.03