जीएसटी चोरी पर ओटीपी से लगाम, पासवर्ड से होगा माल डिलीवरी का वेरिफिकेशन
ई-वे बिल की आड़ में जीएसटी चोरी करने वालों के खिलाफ सरकार सतर्क हो गई है और उसने पहले के मुकाबले नया और मजबूत एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके तहत ई-वे बिल के साथ वन टाइम पासवर्ड यानी ओटीपी आधारित सिस्टम बनाया जा सकता है। इसके जरिये यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि जो माल डिलीवरी के लिए उठाया गया है, उस पर कारोबारी की ओर से टैक्स चोरी न की जा सके।
सूत्रों ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया है कि सरकार ओटीपी के साथ-साथ फास्ट टैगिंग मैकेनिज्म भी लाएगी। किसी कारोबारी के पकड़े जाने पर उसका पंजीकरण निलंबित कर दिया जाएगा और अगर वह गलती दोहराता है तो पंजीकरण रद्द भी किया जा सकता है। जीएसटी में ई-वे बिल लागू होने के बाद सरकार को देश के अलग-अलग हिस्सों से ये जानकारी मिली है कि इसके जरिये जीएसटी की चोरी हो रही है। ऐसे में सरकार ने ट्रेस और ट्रैक सिस्टम बनाने का फैसला किया है। नए ओटीपी सिस्टम में एक पासवर्ड रहेगा और उसके वेरिफिकेशन के बाद ही ई-वे बिल का कन्साइनमेंट पूरा माना जाएगा। जब तक ओटीपी वेरिफिकेशन पूरा नहीं होगा सिस्टम में कारोबारी पर लाल निशान लगा रहेगा।
जीएसटी मामलों की जांच एजेंसियों को पता चला है कि ई-वे बिल उत्पन्न किए जाने के बाद महज चार घंटों के भीतर ही उनके रद्द किए जाने के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। रद्द किए जाने के बाद भी कारोबारी अपने माल को संबंधित स्थान पर पहुंचाते हैं, जिससे डिलीवरी तो पूरी हो जाती है लेकिन जीएसटी सरकार को नहीं मिल पाती। जीएसटी की इंडेलिजेंस विंग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी सघन जांच शुरू की। इसमें पता चला कि माल डिलिवरी के बाद कारोबारी, टैक्स चोरी के इरादे से ई-वे बिल खुद ही रद्द कर देते हैं। इससे सरकार को लाखों के राजस्व का नुकसान होता है।
यहां भी जीएसटी चोरी पकड़ी गई
दिल्ली
मई में शाहदरा के कारोबारी बाप-बेटे ने कॉपर ट्रेडिंग में फर्जी बिलों से 28 करोड़ की चोरी की थी।
उत्तराखंड
राज्य में 97 करोड़ की जीएसटी चोरी पकड़ी गई है। हरिद्वार में 8 फर्मों में 50 करोड़ तो देहरादून में 47 करोड़ की चोरी थी।
झारखंड
फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के 31 मामले दर्ज किए इसमें 400 करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी का अनुमान लगाया गया है।
बिहार
अब तक 240 करोड़ की चोरी पकड़ी गई। इसमें 190 करोड़ की चोरी सेंट्रल जीएसटी एवं जीएसटी इंवेस्टिगेशन विंग द्वारा पकड़ी गई है।
ऐसे चलता है खेल
– माना कानपुर से पान मसाले का ट्रक चला, जिसका इन्वायस और ई-वे बिल कोलकाता के लिए काटा गया लेकिन ट्रक को बिहार में ही खाली कर दिया।
– यानी मसाला वास्तव में बिहार जा रहा था और कोलकाता के फर्जी फर्म के नाम से ई-वे बिल बनाया गया।
– इससे बिक्री चेन टूट जाती है, क्योंकि बिहार वाले व्यापारी को नंबर दो के रास्ते माल आपूर्ति की गई और राजस्व को चपत लगी।
हेराफेरी पर ऐसे लगाम कसेंगे
– कारोबारी जैसे ही ई-वे बिल उत्पन्न करेगा, एक ओटीपी भी साथ आएगा। ये ओटीपी सीधे उस व्यक्ति के मोबाइल पर पहुंचेगा जिसको माल डिलीवरी होना है।
– माल डिलीवरी के बाद माल पहुंचाने वाले कारोबारी को ओटीपी सिस्टम में डालना होगा। कंसाइनमेंट पूरा करने के लिए यह वेरिफिकेशन जरूरी होगा।
– इससे कर चोरों पर दोहरी नजर रहेगी और गलत इरादे से जेनरेट किए जाने वाले ई-वे बिल पर भी लगाम लगेगी।
– ओटीपी के साथ सरकार नेशनल हाईवे अथॉरिटी के फास्ट टैग मैकेनिज्म का भी इस्तेमाल करेगी। ताकि, कारोबारी के शिपमेंट पर रास्ते में नजर रख सकें।
गुरुग्राम में हुई पहली गड़बड़ी
गुरुग्राम में गत फरवरी में 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनी ने अपना जो पता दिया था, उस पर नाई की दुकान मिली। विशेष दल ने जांच के बाद डीलर का जीएसटी नंबर रद्द कर दिया।.