September 22, 2024

4 लाख करोड़ के कर्ज माफ करने की तैयारी में सरकार, बजट में भी खुलेगा किसानों के लिए खजाना

हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिली करारी शिकस्त के बाद अब केंद्र सरकार अपना खजाना किसानों के लिए खोलने जा रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले कर्ज माफी से होगी। वहीं फरवरी में पेश होने वाले बजट में किसानों के लिए कई नई योजनाओं की घोषणा होने की संभावना है। 

कर्ज करेगी माफ

सरकार अब देश भर के 26.3 करोड़ किसानों और उनके आश्रितों द्वारा लिए गए विभिन्न सरकारी बैंकों से लिए गए कर्ज को माफ करने की योजना पर काम कर रही है। कर्ज माफ होने की कुल रकम 56.5 बिलियन डॉलर ( 4 लाख करोड़ रुपये) है, जो कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास मौजूद 9.6 लाख करोड़ से काफी ज्यादा है। 

मई 2019 में होंगे लोकसभा चुनाव

केंद्र सरकार यह कदम इसलिए उठा रही है क्योंकि विधानसभा चुनावों में किसान सबसे ज्यादा नाराज थे। अब सरकार लोकलुभावन घोषणाएं करने जा रही है, ताकि इसका फायदा पार्टी को मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में मिल सके। 

कम हुई किसानों की खेती से होने वाली आय

भाजपा की केंद्र में पिछले साढ़े चार सालों से सरकार है। इस दौरान किसानों की आय बढ़ने के बजाय घटती गई। वहीं खेती से होने वाली पैदावार भी सितंबर में खत्म हुई तिमाही में 5.3 फीसदी से घटकर केवल 3.8 फीसदी रह गई। उपज कमजोर होने के साथ ही किसानों की आय पर भी प्रभाव पड़ा है। किसानों की आय में गिरावट होने से गांव-देहातों में उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री भी काफी कम हो गई है। 

पॉलिसी में करने होंगे बदलाव

Farmers Protest

Farmers Protestकेयर रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस के अनुसार सरकार को अब अपनी इकोनॉमिक पॉलिसी में बड़े बदलाव करने होंगे। इसमें किसानों का कर्ज माफ करना, खेती पर फोकस करना और समाज से जुड़े मुद्दों पर फोकस करना होगा। आगे के महीनों में हम देख सकते हैं कि सरकार एक बार फिर से कई ऐसे मुद्दों पर फैसला लें, जो जनता से सीधे जुड़े हैं। 

गांवों की ओर अब ध्यान देगी सरकार

आनंद राठी फाइनेंस सर्विस के चीफ इकोनॉमिस्ट सुजन हजरा ने कहा कि अब सरकार एक बार से गांवों की ओर ध्यान देगी। इसमें किसानों को फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करना और अन्य ग्रामीण भारत के लिए बनी हुई योजनाओं पर फोकस करने का होगा।

इस वक्त देश का चालू खाता घाटा 4 फीसदी के पार चला गया है। वहीं अप्रत्यक्ष कर से होने वाली आय और विनिवेश काफी कम हो गई है, जिस पर सरकार को थोड़ा सोचना होगा। 
एचडीएफसी बैंक चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरूआ ने कहा कि सरकार फिलहाल किसी तरह की कोई नई योजना की घोषणा नहीं करेगी, बल्कि पुरानी योजनाओं को सीधे आम आदमी तक पहुंचाने के लिए कदम उठाएगी। 

अंतरिम बजट में दिखेगा बदलाव

सरकार 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेगी।  इस दौरान हो सकता है वित्त मंत्री अरुण जेटली अपना फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर, घर, रेलवे और सड़कों पर कर लें। इसके साथ ही सब्सिडी में बढ़ावा और टैक्स की दरों में और कमी की जा सकती है, जिससे आम लोगों को राहत मिल सके।


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