राफेल सौदे को लेकर वायुसेना प्रमुख ने निर्मला सीतरमण को लिखा खत
राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच भारतीय वायु सेना प्रमुख ने रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण को खत लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि लड़ाकू विमान राफेल को राजनीति का विषय नहीं बनाना चाहिए। सीतारमण को लिखे खत में वायु सेना प्रमुख मार्शल बरिंदर सिंह धनोआ ने कहा है कि फ्रांस के साथ किया गया राफेल सौदा राजनीति में नहीं लाना चाहिए। इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। हालांकि उन्होंने राफेल को लेकर चल रही बयानबाजी पर कुछ भी कहने से मना कर दिया।
हमारी सहयोगी वेबसाइट हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर मुताबिक वायुसेना प्रमुख मार्शल बीरेंद्र सिंह ने सीतारमण को लिखे खत में इस बात पर ज़ोर दिया है कि पश्चिम और उत्तर बॉर्डर पर लड़ने के लि भारतीय वायु सेना को कम से कम 42 लड़ाकू विमानों की जरूरत है। जबकि अभी वायु सेना के पास केवल 36 विमान हैं। आने वाले समय में स्क्वाड्रनों की संख्या और कम हो जाएगी।
मार्शल धनोआ ने सरकार को बताया कि वायुसेना के लिए 36 लड़ाकू विमान जरूरी थे। एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान जाहिर ना करने की शर्त पर बताया कि मार्शल धनोआ ने सरकार को राफेल की कीमत ना बताने की भी सलाह दी थी। उन्होंने बताया की धनोआ ने सरकार को ये सलाह दी थी कि उन्हें विमानों की कीमत के बारे में नहीं बताना चाहिए। प्रमुख का मानना था कि लड़ाकू विमान की कीमत का खुलासा करने से सेनानियों की क्षमता पर असर पड़ेगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिंसबर को सुनवाई के दौरान उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है जिसमें राफेल डील की सीबीआई जांच कोर्ट में निगरानी में कराने की मांग की गई थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि देश लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश इन विमानों के बगैर नहीं रह सकता है।
तीन सदस्यीय पीठ की तरफ से फैसला पढ़ते हुए प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।साथ ही कीमतों के तुलनात्मक विवरण पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है। कीमत और ऑफसेट साझेदार के मामले में हस्तक्षेप के लिए उसके पास कोई ठोस साक्ष्य नहीं है। न्यायालय ने रेखांकित किया कि भारतीय वायुसेना को चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत है।