मोदी सरकार जजों की नियुक्ति में एससी-एसटी आरक्षण के पक्ष में
मोदी सरकार निचली अदालतों में जजों की नियुक्तियों में एससी-एसटी तबके को आरक्षण देना चाहती है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार इसके लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा आयोग के पक्ष में है। सिविल सर्विस एग्जाम के पैटर्न पर इसकी मदद से न्यायपालिक में शुरुआती स्तर पर आरक्षण दिया जा सकता है।
आम चुनावों से पूर्व मोदी सरकार आरक्षण को लेकर बडा दाव खेलने के मूड में है। इसके संकेत कानून मंत्री रविशंकर ने साफ करते हुये दे दिये है। कानून मंत्री ने साफ करते हुये कहा कि न्यायिक सेवा में मोदी सरकार आरक्षण के पक्ष में है। जबकि मोदी सरकार को लेकर आम वोटरों की धारणा है कि वह आरक्ष को कम कर सकते है, लेकिन इसके उलट मोदी सरकर के इस फैसले से बडा नफा नुकशान भी हो सकता है। मोदी सरकार जजों की नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के पक्ष में है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से एंट्रेंस एग्जाम के जरिये न्यायिक सेवा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है। लखनऊ में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के कार्यक्रम में रविशंकर प्रसाद ने न्यायपालिका में इस तबके का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के दृष्टिकोण से ये बातें कहीं हैं। आपको बता दें कि इससे पहले निचली अदालतों में प्रवेश के लिए एग्जाम आधारित अखिल भारतीय न्यायिक सेवा बनाने के मसले पर विवाद हो चुका है।
अपनी बात को स्पष्ट करते हुए रविशंकर प्रसाद ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि यूपीएससी द्वारा न्यायिक सेवाओं की परीक्षा सिविल सेवाओं की तर्ज पर हो सकती है, जहां एससी और एसटी के लिए आरक्षण है। इसमें चयनित लोगों को राज्यों में भेजा जा सकता है। आरक्षण की वजह से वंचित तबके को भी मौका मिल सकता है और आगे चलकर वे उच्च पोजिशनों पर पहुंच सकते हैं।
हालांकि रविशंकर प्रसाद ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBCs) के आरक्षण का जिक्र नहीं किया। मंडल कमिशन की सिफारिशों को लागू कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में देखें तो सविल सर्विसेज के यूपीएससी मॉडल की तरह यहां भी ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान होगा।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि न्यायिक सेवा की वजह से हमारे लॉ स्कूलों के टैलंट भी अडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज के लेवल पर जूडिशल ऑफिसर के रूप में सामने आएंगे। एडीजे और डिस्ट्रिक्ट जजों के रूप में वे हमारी न्यायिक व्यवस्था को और अधिक तेज व कुशल बनाने में मदद कर सकते हैं।