लागू हो जाएगा आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए 10 फीसद आरक्षण!
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए सरकारी नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण का विधेयक मंगलवार को लोकसभा से पारित हो गया। बुधवार को अगर राज्यसभा से भी यह संविधान संशोधन पारित हो जाता है तो बिना विलंब आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा। यानी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। यह लाभ केवल हिंदू धर्मावलंबी अनारक्षित जातियों के लिए ही नहीं, बल्कि मुस्लिम, ईसाई और अन्य समुदायों को भी मिलेगा।
आर्थिक पिछड़ों के लिए आरक्षण विधेयक लोकसभा से पारित
मंगलवार को लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने से लेकर इसके पारित होने तक राजनीतिक हलचल तेज रही। इसकी संवेदनशीलता को देखते हुए यूं तो किसी भी दल ने इसका विरोध नहीं किया, लेकिन राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और छींटाकशी तेज रही।
विपक्षी दलों की ओर से इसे राजनीतिक कदम और चुनावी जुमला करार दिया गया। तो सरकार की ओर से कांग्रेस को याद दिलाया गया कि वह अब तक जो कुछ किया था वह जुमला था क्योंकि निष्पक्ष और संविधान सम्मत प्रयास नहीं किया गया था। पहली बार राजग की ओर से अगड़ी जातियों के पिछड़े लोगों को बराबरी का अवसर देने का सार्थक प्रयास किया जा रहा है तो उस पर अंगुली उठाई जा रही है।
सरकार की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष के सारे तर्को को तार-तार कर दिया। कांग्रेस के केवी थॉमस ने इसे जल्दबाजी में लाया गया विधेयक करार देते हुए आशंका जताई कि कोर्ट की ओर से 50 फीसद की सीमा तय होने के कारण यह खारिज हो जाएगा। उन्होंने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजने की मांग की।
जेटली ने तथ्यों के साथ स्पष्ट किया कि यह अब तक इसलिए खारिज हो रहा है क्योंकि संविधान में आर्थिक पिछड़ेपन का प्रावधान ही नहीं किया गया था। इस बार कॉन्स्ट में इसका प्रावधान किया गया है और इसलिए यह कॉन्स सम्मत है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोर्ट ने भी अपने फैसले में साफ कर दिया था कि 50 फीसद आरक्षण सीमा केवल सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों के संदर्भ में थी।
छिटपुट सवाल उठा रहे विपक्षी दलों को राजनीतिक कठघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर समर्थन करना है तो दिल बड़ा करके करें। खासकर कांग्रेस को उन्होंने घेरने की कोशिश की और याद दिलाया कि वह जुमले का आरोप न लगाए।
भाजपा ने वादा किया था और उसे पूरा करने जा रही है। कांग्रेस ने भी अपने घोषणापत्र में यही वादा किया था, लेकिन सवाल उठा रही है। जनता के सामने परीक्षा की घड़ी है और विपक्षी दलों को दिखाना होगा कि वह पास होते हैं या फेल। जेटली का यह बयान शायद राज्यसभा में भी कांग्रेस की मौजूदगी और समर्थन सुनिश्चित करने के लिए दिया गया था।