कुमायूं विवि में प्रशासनिक अफसर बनेंगे परीक्षा नियंत्रक, प्राध्यापकों के दिन लदे

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नैनीतालः कुमायूं विवि में अब प्राध्यापक परीक्षा नियंत्रक नहीं बन पायेंगे। दरअसल विवि ने यह फैसला परीक्ष्ज्ञा विभाग में गड़बडियों व अनियमितताओं को देखते हुए लिया गया। विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली में परिवर्तन के लिए यह फैसला अहम माना जा रहा है।

दरअसल, शासन ने तीन साल के लिए प्रो. रजनीश पांडे को परीक्षा नियंत्रक बनाया था, यह अवधि 2016 में खत्म हो गई। उसके बाद से परीक्षा नियंत्रक, उप परीक्षा नियंत्रक व सहायक परीक्षा नियंत्रक पद पर प्राध्यापकों की तैनाती होती रही है। कुलपति प्रो. केएस राणा ने विवि में परीक्षा नियंत्रक के पद का सृजन करने तथा शासनस्तर से नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश कुलसचिव को दिए थे। कुलपति के निर्देशानुसार, कुलसचिव डाॅ. महेश क्रुमार ने प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया था। जल्द से जल्द तैनाती के लिए रिमाइंडर भी भेजा गया है। कुलपति ने कहा कि परीक्षा सिस्टम में सुधार सर्वोच्च प्राथमिकता है। छात्रों की परीक्षा से संबंधित दिक्कतों का तेजी से समाधान हो और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आए, इसके लिए जो भी संभव होगा, कदम उठाया जाएगा। यहां बता दें कि प्रो. रजनीश पांडे के बाद प्रो. भगवान सिंह बिष्ट, प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट, प्रो. वाइएस रावत परीक्षा नियंत्रक बने। मई 2018 से प्रो. संजय पंत परीक्षा नियंत्रक हैं।

विवि एक्ट में यह है प्रावधान
विवि अधिनियम के तहत कुमाऊं विवि में कुलपति, कुलसचिव व वित्त अधिकारी का पद सृजित है, जबकि परीक्षा नियंत्रक का पद सृजित नहीं है। अधिनियम के प्रावधान के अनुसार, कुलसचिव ही परीक्षा संचालन करते हैं। राज्य सरकार से मिली विशेष अनुमति की वजह से प्रो. रजनीश पांडे तीन साल तक परीक्षा नियंत्रक बनाए गए थे। उसके बाद विवि ने आंतरिक व्यवस्था के तहत परीक्षा नियंत्रक का जिम्मा प्राध्यापकों को देता रहा।

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