September 22, 2024

अब इन सरकारी बैंकों का जल्द हो सकता है प्राइवेटाइजेशन, सामने आया एक और बड़ा नाम

बजट में केंद्र सरकार ने बैंकों के निजीकरण को लेकर घोषणा की थी. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. सरकार की इस घोषणा के मुताबिक सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) में अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है. लेकिन अब सामने आ रहा है कि सरकार बैंक ऑफ इंडिया में भी अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग ने दो बैंकों के नाम की सिफारिश भी की है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक अब बैंक ऑफ हिस्सेदारी बिक्री को लेकर बैंक ऑफ इंडिया का नाम भी सामने आ रहा है.

किसकी कितनी हिस्सेदारी

शेयर प्राइस के आधार पर देखा जाए तो सेंट्रल बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक की मार्केट वैल्यू 44,000 करोड़ रुपए है जिसमें इंडियन ओवरसीज बैंक का मार्केट कैप 31,641 करोड़ रुपए का है. इससे पहले नीति आयोग ने विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति को उन सरकारी बैंकों के नाम सौंप दिए हैं जिनका विनिवेश प्रक्रिया के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में निजीकरण किया जाना है.

एक बीमा कंपनी का भी है नाम

बजट के दौरान बैंकों के साथ एक बीमा कंपनी की भी बात कही गई थी. नीति आयोग को निजीकरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंको और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में निजीकरण से जुड़ी घोषणा की गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि निजीकरण के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीजन बैंक का नाम लिस्ट में सबसे ऊपर है. उच्च स्तरीय समिति के दूसरे सदस्यों में आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, कॉरपोरेट मामलों के सचिव, कानूनी मामलों के सचिव, सार्वजनकि उपक्रम सचिव, निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव और प्रशासनिक विभाग के सचिव शामिल हैं.

इन पर है नीति आयोग की नजर

दरअसल सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाना भी सरकार के इसी लक्ष्य का हिस्सा है. निजीकरण के लिए नीति आयोग की नजर उन 6 बैंकों पर है जो मर्जर में शामिल नहीं थे. इसमें बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक के अलावा बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब एंड सिंध बैंक और यूको बैंक शामिल हैं.


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