नेता जी के दखल से जागी चाचा भतीजे के मिलन की आश
सैफई में इस बार की होली कुछ अलग-सा रंग लेकर आई थी. मुलायम सिंह यादव के परिवार में दिलों की दरार कुछ कम हुई दिखी थी. समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी पत्नी और पूर्व सांसद डिंपल के साथ सैफई में अपनी कोठी में परिवार संग होली मनाने मौजूद थे. कोठी के भीतर लॉन में एक मंच बनाया गया था. कुछ ही देर बाद मुलायम सिंह यादव यानी नेता जी भी कोठी पहुंच गए. इसके बाद चाचा रामगोपाल यादव पहुंचे.
सभी मंच पर बैठकर परिवार के बच्चों और गांव के लोगों समेत होली का आनंद ले रहे थे कि तभी मुलायम के सबसे छोटे भाई और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल यादव भी पहुंचे. शिवपाल, मुलायम सिंह का पैर छूकर आगे ही बढ़े थे कि अखिलेश ने भी पूरी गर्माहट के साथ शिवपाल के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया. हालांकि इसके बाद होली खेल रहे कार्यकर्ता चाचा-भतीजा जिंदाबाद के नारे लगाने लगे लेकिन अखिलेश ने उन्हें शांत करा दिया. अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से कहा कि होली किसी राजनीति का मंच नहीं है अगर दोबारा नारेबाजी की तो अगली बार होली पर सैफई नहीं आऊंगा.
इसने भले ही शिवपाल और अखिलेश के बीच दरार के बने रहने का इशारा किया हो लेकिन होली के बाद से मुलायम सिंह यादव परिवार में चाचा-भतीजा के बीच सुलह की कोशिशें शुरू हो गई थीं. इसकी कमान स्वयं मुलायम सिंह यादव ने संभाली थी. दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम कुनबे में वर्चस्व की जंग छिड़ गई थी. इसी के बाद अखिलेश ने सपा पर अपना एकछत्र राज कायम कर लिया था. इस घटना के बाद अखिलेश और शिवपाल के बीच खाई गहरी हो गई थी. विधानसभा चुनाव के बाद शिवपाल ने सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन कर लिया था.
शिवपाल के अलग पार्टी बनाने के बाद सपा ने नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी से चार सितंबर, 2019 को दल परिवर्तन के आधार पर शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर करवाई. मुलायम सिंह के सीधे हस्तक्षेप के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव याचिका वापस लेने को राजी हुए. 23 मार्च को नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी विधानमंडल दल के नेता रामगोविंद चौधरी ने यह कहते हुए शिवपाल की सदस्यता रद्द करने की याचिका वापस लेने की अर्जी विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी कि पिछले वर्ष 4 सितंबर को याचिका प्रस्तुत करते वक्त कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य और अभिलेख संलग्न नहीं किए जा सके थे. इसी के बाद विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने उसे स्वीकार करते हुए याचिका वापस कर दी. इससे शिवपाल की विधानसभा सदस्यता खत्म होने से बच गई है.
उधर लॉकडाउन लागू होने के बाद मुलायम सिंह की तबियत खराब होने के चलते उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. इस दौरान मुलायम के साथ अस्पताल में अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव के साथ मौजूद थे, तो शिवपाल भी लगातार अस्पताल में मौजूद रहकर अपने बड़े भाई के स्वास्थ्य की चिंता कर रहे थे. स्वास्थ्य में लाभ होने के बाद भी मुलायम ने शिवपाल और अखिलेश के बीच पनपी खटास को कम करने की कोशिश में लगे रहे. इसका असर भी दिखा. पिछले दिनों अखिलेश ने भी मीडिया के समक्ष चाचा शिवपाल यादव के बारे में पूछे गए सवाल पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि जसवंत नगर विधानसभा सीट पर उनके साथ ‘एडजस्टमेंट’ हो सकता है. वैसे भी सपा एक ही पार्टी है.
इसके बाद शिवपाल यादव ने भी भतीजे अखिलेश को पत्र लिखकर उनकी तारीफ करते हुए आभार जताया है. शिवपाल ने अखिलेश को पत्र में लिखा, “आपके आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मेरी विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए दी गई याचिका को वापस कर दिया गया है. इस स्नेहपूर्ण विश्वास के लिए आपका कोटिश: आभार. निश्चिय ही यह मात्र एक राजनीतिक परिघटना नहीं. बल्कि, आपके इस तरह के स्पष्ट सार्थक और सकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परिधि में आपके नेतृत्व में एक नव-राजनीतिक विकल्प एवं नवाक्षर का जन्म होगा.” इससे यह संकेत मिल रहा है कि मौजूदा राजनीतिक हालत को देखकर ही अब शिवपाल यादव ने शायद भतीजे के नेतृत्व को स्वीकार करने का मन बना लिया है.