इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला, सपा शासनकाल में हुई भर्तियों की जारी रहेगी CBI जांच
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी शासन काल में यूपी लोक सेवा आयोग में हुई भर्तियों की सीबीआई जांच के खिलाफ दायर याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस डीबी भोसले की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यूपी लोक सेवा आयोग में सपा के शासनकाल में हुई भर्तियों की सीबीआई जांच जारी रहेगी।
गौरतलब है कि 7 फरवरी को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस डीबी भोसले की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों ने द्वारा दाखिल याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिका में सीबीआई जांच की सरकार की अधिकारिता को चुनौती दी गई थी। 21 नवम्बर 2017 की अधिसूचना से केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की संस्तुति पर मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया है। सीबीआई आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल यादव के कार्यकाल में हुई भर्तियों जांच कर रही है।
इससे पहले 2 जनवरी को कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को निर्देश दिया था कि वह बताएं किस आधार पर मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति की गई। याचिका में कहा गया था कि यूपी लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इसलिए सीबीआई जांच की संस्तुति अवैध है और सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. लिहाजा आयोग के खिलाफ मौजूदा कानून के तहत कोई जांच नहीं कराई जा सकती।
याचिका के खिलाफ राज्य सरकार के अधिवक्ता की दलील थी कि योग द्वारा की गई भर्तियों में अनियमितत की शिकायत मिलने पर राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह जांच बैठा सकती है। राज्य सरकार के संस्तुति पर केंद्र ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि सीबीआई यूपी लोक सेवा आयोग द्वारा अप्रैल 2012 और मार्क 2017 के बीच हुई भर्तियों की जांच सीबीआई कर रही है।