September 22, 2024

भारत की नाराजगी के बाद नरम पड़े अमेरिका के तेवर

अमेरिका द्वारा लक्षद्वीप में बिना सूचना के युद्धाभ्यास करने के बाद भारत ने नाराजगी जाहिर की, जिसके बाद यूएस ने तेवर नरम पड़ गए हैं। वाशिंगटन ने नई दिल्ली के साथ मतभेदों को दूर करने की मांग करते हुए कहा कि वह भारत के साथ अपनी साझेदारी को महत्व देता है।

पिछले हफ्ते बिना किसी पूर्व सहमति के लक्षद्वीप तट से दूर भारत के क्षेत्र (ईईजेड) में अमेरिका के एक नौसैनिक ऑपरेशन को लेकर नई दिल्ली ले तुरंत राजनयिक चैनलों पर अपना विरोध दर्ज कराया था।

यूएस 7वें फ्लीट पब्लिक अफेयर्स ने एक बयान में कहा था, “7 अप्रैल, 2021 को यूएसएस जॉन पॉल जोन्स ने भारत की अनुमति के बिना लक्षद्वीप द्वीप समूह के लगभग 130 समुद्री मील पश्चिम में युद्धाभ्यास किया। इसमें उसने नौसैनिक अधिकारों और स्वतंत्रता का दावा किया।”

हालांकि भारत ने विरोध जताते हुए कहा कि विशेष आर्थिक क्षेत्र या महाद्वीपीय शेल्फ में सैन्य अभ्यास या युद्धाभ्यास के लिए पूर्व सहमति की आवश्यकता है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्‍लंघन है।

इस कदम से भारत की ओर से तीखी प्रतिक्रिया दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि यूनाइटेड नेशन का कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी अन्य कॉन्टिनेंटल शेल्फ़ या “एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन” पर युद्धाभ्यास के सैन्य अभ्यास करने के लिए कोई भी राज्‍य किसी दूसरे देश की सीमा में बिना अनुमति के ऐसा नहीं कर सकता है।

विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान में कहा गया, “समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन पर भारत सरकार की घोषित स्थिति यह है कि कन्वेंशन अन्य राज्यों को विशेष आर्थिक क्षेत्र और महाद्वीपीय शेल्फ, सैन्य अभ्यास या युद्धाभ्यास पर विशेष रूप से तटीय राज्य की सहमति के बिना हथियारों या विस्फोटक का उपयोग शामिल करने के लिए अधिकृत नहीं करता है।”

उन्होंने कहा, “यूएसएस जॉन पॉल जोन्स पर फारस की खाड़ी से मलक्का जल क्षेत्र की ओर लगातार नजर रखी जा रही थी। हमने अपने ईईजेड के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार को राजनयिक चैनलों के माध्यम से इस बारे में अपनी चिंताओं से अवगत कराया है।”


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