November 25, 2024

दूसरा पहलूः किससे मित्रता निभा रही है, डबल इंजन सरकार की मित्र पुलिस?

vinit rawat

देहरादून। ‘डबल इंजन’ की सरकार में उत्तराखंड की ‘मित्र पुलिस’ की ‘मित्रता’ पर अब सवाल उठने लगे है। अंकिता भण्डारी हत्याकाण्ड, पुलिस के पहरे में केदार भण्डारी की संदिग्ध मौत और नौजवान विपिन रावत की देहरादून में हत्या के बाद पुलिस की जांच सवालों के घेरे में है। हालांकि अंकिता भण्डारी केस में एसआईटी गठित कर जांच की जा रही है। और इस हत्याकाण्ड के आरोपी जेल में हैं, लेकिन इस मामले में उत्तराखण्ड पुलिस की ‘स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम’ कथित ‘वीआईपी’ का आज तक पता नहीं लगा पाई है।

उत्तरकाशी के युवा केदार भण्डारी की मौत अभी भी मिस्ट्री बनी हुई है। फौजी बनने का सपने लिए केदार भण्डारी भर्ती होने कोटद्वार आया था, वापिसी में वह ऋषिकेश में एक होटल में रूका, लेकिन इसके बाद उसके साथ क्या हुआ अभी तक पता नहीं चल सका है।

पुलिस का कहना है उसके खिलाफ चोरी की शिकायत आई थी, जिसके बाद उसे पुलिस ने हिरासत में लिया और इसके बाद उसने अचानक नदी में छलांग लगा दी।

कमाल की बात ये है कि बिना लिखित शिकायत के पुलिस ने चोरी के इल्जाम में केदार भण्डारी को गिरफ्तार किया। वहीं दून में विपिन रावत पर हुए जानलेवा हमले के बाद भी पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं करती है।

आसाम राइफल के जवान विपिन के पिता अव्वल सिंह रावत आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर दर-दर भटकते रहे लेकिन मित्र पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं करती है। पुलिस आरोपी को तब गिरफ्तार करती है जब तकरीबन नौ दिन बाद अस्पताल में विपिन जिंदगी की जंग हार जाते हैं।

इस मामले में जब अस्पताल के बाहर विपिन के परिजनों मित्रों और कांग्रेसी नेताओं के प्रदर्शन किया। तब मित्र पुलिस के अफसरों और डबल इंजन की सरकार चला रहे जिम्मेदारों को अचानक पता लगता है कि मामले की जांच में कोताही हुई है और जिम्मेदार लक्खीबाग चौकी प्रभारी प्रवीण सैनी को निलम्बित कर दिया जाता है।

यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाला की जांच

प्रदेश के नौजवानों की नौकरियों में डकैती डालने वाले इस मामले में भी मित्र पुलिस की जांच सवालों के घेरे में है। प्रदेश की डबल इंजन की सरकार ने इस घोटाले की जांच स्पेशल टास्क फोर्स को सौंपी। और जनता को एक बार संदेश देने की कोशिश की कि डबल इंजन की सरकार में भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन अब इस घोटाले में शामिल आरोपियों की एक के बाद एक की जमानत होना जांच पुलिस की पैरवी और जांच पर सवालिया निशान लगाता है।

उत्तराखण्ड बेरोजगार संघ से जुड़े नौजवान हर मंच से यूकेएसएसएसी भर्ती घोटाले की बात उठाते रहे। नौजवानों के विरोध प्रदर्शन के बाद डबल इंजन की सरकार ने मामले की जांच की हामी भरी। उसके बाद बीते 22 जुलाई को एसटीएफ ने केस दर्ज किया और इस घोटाले में शामिल आरोपियों की गिरफ्तारी की। लेकिन अब ये रसूखदार आरोपी एक के बाद एक जमानत पर रिहा हो रहे हैं।

मित्र पुलिस की मंशा पर उठे सवाल

आंदोलनकारी और भाकपा माले के गढ़वाल मण्डल सचिव इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि यह प्रकरण तो लगातार सोशल मीडिया पर लोग उठा रहे थे तो इतने गंभीर प्रकरण में एक अमीरज़ादे को बचाने के लिए पुलिस द्वारा कोशिश की जा रही है।

क्या यह उच्च अधिकारियों के संज्ञान में नहीं आया? आखिर उत्तराखंड पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी-महानिदेशक से लेकर थाना-कोतवाली तक सबसे मुस्तैदी से तो सोशल मीडिया में ही मौजूद रहते हैं! पुलिस के खिलाफ कोई टिप्पणी मात्र कर देता है तो उत्तराखंड पुलिस के तथाकथित सोशल मीडिया वारियर्स, ट्रोल की तरह, ऐसा करने वाले के पीछे सोशल मीडिया में पड़ जाते हैं।

अंकिता भण्डारी और केदार भंडारी प्रकरण पर टिप्पणी करने वालों के पोस्ट के कमेन्ट बॉक्स में जा-जा कर उन्हें धमकाया गया कि कार्यवाही होगी! तो विपिन रावत के प्रकरण में जब सोशल मीडिया पर लिखा जा रहा था कि इस मामले में एफ़आईआर दर्ज करने से लेकर कार्यवाही करने में पुलिस की ओर से हीलाहवाली हो रही है तो फिर सोशल मीडिया पर मौजूद पुलिस महकमे के आला अफसरों ने इसका संज्ञान क्यूं नहीं लिया?

वहीं उन्होंने कहा कि जानलेवा हमले से विपिन रावत की मृत्यु के तत्काल बाद आरोपी विनीत अरोड़ा को जितनी तेजी से गिरफ्तार किया गया। इसका मतलब है कि पुलिस आरोपी को भली.भांति जानती थी। तो क्या विपिन रावत के जान गंवाने का इंतजार कर रही थी देहरादून पुलिस?

विपिन रावत के न रहने के बाद लक्खीबाग चौकी प्रभारी के निलंबन समेत तमाम घोषणाएँ हुई। लेकिन क्या इस बात की गारंटी उत्तराखंड पुलिस लेगी कि ऐसी घटनाओं का दोहराव नहीं होगा।

बिगड़ैल अमीरज़ादों को हमले के मंतव्य से गाड़ी में बेसबॉल का बैट, हाकी स्टिक, असलहे लेकर घूमने की छूट नहीं होगी, ऐसा गंभीर मामला आने पर पुलिस मामले को समझौता करवा कर, रफा.दफा करने की कोशिश फिर नहीं करेगी?

विपक्ष ने उठाई डीजीपी को हटाने की मांग

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश में भर्ती घोटाला और अंकिता हत्याकांड, केदार भण्डारी की संदिग्ध मौत, और अब विपिन रावत की मौत सहित दूसरे मामलों पर पुलिस की जांच पर सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि डीजीपी प्रदेश में सही से कानून व्यवस्था का पालन करवाने में असफल रहे हैं। पुलिस पूरी तरह बेलगाम है। कानून का राज नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि वे पिछले एक महीने से डीजीपी को हटाने की मांग कर रहे हैं।